Rohit Sharma – राहुल द्रविड़ का नाम आते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में “द वॉल” वाली छवि बन जाती है—धैर्य, अनुशासन और क्लासिक बल्लेबाजी। लेकिन भारतीय क्रिकेट के लिए उनका दूसरा बड़ा योगदान था बतौर कोच। 2024 का टी20 वर्ल्ड कप, जो भारत ने जीतकर 11 साल का ICC ट्रॉफी का सूखा खत्म किया, उसी के साथ द्रविड़ का कोचिंग कार्यकाल भी समाप्त हुआ। और यह सफर जितना रोचक था, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी।
द्रविड़-रोहित की जोड़ी: मुश्किल दौर से जीत तक
जब द्रविड़ ने हेड कोच की जिम्मेदारी संभाली थी, भारतीय क्रिकेट अशांत दौर से गुजर रहा था। विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ दी थी, कई खिलाड़ी चोटों से जूझ रहे थे और टीम की दिशा पर सवाल उठ रहे थे। ऐसे में रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जोड़ी बनी। इस जोड़ी का सफर हमेशा आसान नहीं रहा, लेकिन आखिरकार नतीजा वही मिला जो करोड़ों भारतीय चाहते थे—ICC ट्रॉफी।
द्रविड़ खुद मानते हैं कि रोहित का साफ दृष्टिकोण और टीम-फर्स्ट एप्रोच सबसे बड़ा फैक्टर रहा। उन्होंने कहा कि रोहित शुरू से ही बहुत क्लियर थे कि टीम को किस दिशा में ले जाना है और कप्तान-कम-कोच रिश्ते में यही सबसे अहम होता है।
कप्तान की टीम, कोच का सपोर्ट
द्रविड़ का मानना रहा है कि टीम असल में कप्तान की होती है, और कोच की भूमिका सिर्फ उस दिशा में मदद करने की। यही वजह है कि उन्होंने रोहित को कभी ओवरशैडो करने की कोशिश नहीं की। हाँ, कभी-कभी कप्तान को स्पष्टता देने या किसी फैसले को आसान बनाने में द्रविड़ ने अपना अनुभव साझा किया, लेकिन कमान हमेशा रोहित के हाथ में रही।
उनके मुताबिक, रोहित का अनुभव और उनकी सोच ने पूरी टीम को मजबूती दी। चाहे ड्रेसिंग रूम का माहौल हो या खिलाड़ियों से संवाद—रोहित ने साफ किया कि उनकी प्राथमिकता टीम यूनिटी और फ्री-फ्लोइंग एटमॉस्फेयर है।
मैदान के बाहर का रोहित
द्रविड़ ने यह भी बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा मजा रोहित को इंसान के तौर पर जानने में आया। मैदान पर “हिटमैन” का रौब और आक्रामक अंदाज दिखता है, लेकिन मैदान से बाहर वे बेहद रिलैक्स्ड और मिलनसार हैं। टीम के साथी, सपोर्ट स्टाफ, यहाँ तक कि फैंस—सब उनसे बातचीत करने में सहज महसूस करते हैं।
द्रविड़ ने कहा कि उनकी और रोहित की कई बातें क्रिकेट से बाहर भी होती थीं—जिन्हें उन्होंने सबसे ज्यादा एंजॉय किया। बातचीत हमेशा नैचुरल रही, कभी बनावटी नहीं। यही चीज उनके रिश्ते को मजबूत बनाती रही।
द्रविड़ की कोचिंग लेगेसी
राहुल द्रविड़ ने सिर्फ एक ट्रॉफी ही नहीं जीती, बल्कि भारतीय क्रिकेट में स्थिरता और प्रोफेशनलिज्म भी लाए। अंडर-19 और इंडिया ए टीम के साथ काम कर चुके द्रविड़ ने युवाओं को निखारने में अहम भूमिका निभाई। शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों को तैयार करने में उनका हाथ रहा। सीनियर टीम के साथ उनका कार्यकाल कई मायनों में उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन T20 वर्ल्ड कप जीतकर उन्होंने इसे यादगार बना दिया।