Gautam Gambhir : गंभीर सिर्फ पसंदीदा खिलाड़ियों को चुनते हैं – अय्यर की अनदेखी गलत उठाए नए सवाल

Atul Kumar
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Gautam Gambhir

Gautam Gambhir – भारतीय क्रिकेट में एशिया कप 2025 का स्क्वॉड घोषित होने के बाद जो सबसे बड़ा विवाद खड़ा हुआ है, वह है श्रेयस अय्यर की अनदेखी। 15 खिलाड़ियों की लिस्ट में तो दूर, रिज़र्व खिलाड़ियों में भी अय्यर का नाम नहीं है। इस फैसले पर आलोचना लगातार बढ़ रही है। अब पूर्व भारतीय क्रिकेटर सदगोपन रमेश ने सीधे-सीधे उंगली उठाई है—और वह भी चयन समिति पर नहीं, बल्कि टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर पर।

रमेश का आरोप: गंभीर सिर्फ पसंदीदा खिलाड़ियों को चाहते हैं

अपने यूट्यूब चैनल पर रमेश ने कहा कि गौतम गंभीर केवल उन्हीं खिलाड़ियों का साथ देते हैं जिन्हें वह पसंद करते हैं। जिनसे उनकी केमिस्ट्री नहीं जमती, उनके लिए दरवाजे लगभग बंद हो जाते हैं। रमेश का कहना है कि अय्यर का एशिया कप टीम से बाहर होना इसी पैटर्न का नतीजा है।

उन्होंने यह भी तंज कसा कि इंग्लैंड के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज (जो 2-2 से ड्रॉ रही) को बड़ी उपलब्धि बताना गलत नैरेटिव है। रमेश के मुताबिक, विदेशी मैदानों पर जीत का असली सिलसिला कोहली और रवि शास्त्री के दौर में शुरू हुआ था, और गंभीर की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है।

चैंपियंस ट्रॉफी और अय्यर की भूमिका

रमेश ने अय्यर की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत की जीत की सबसे बड़ी वजह अय्यर ही थे। खास बात यह रही कि टूर्नामेंट UAE में हुआ था—वही जगह जहां अब एशिया कप खेला जाएगा। अय्यर उस ट्रॉफी में भारत के टॉप स्कोरर थे, लेकिन अब उन्हीं को दरकिनार कर दिया गया है।

अय्यर का हालिया फॉर्म

अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो अय्यर पूरी तरह फिट और शानदार फॉर्म में हैं।

टूर्नामेंटरनस्ट्राइक रेटहाइलाइट्स
IPL 2025604174कई मैच-विनिंग पारियाँ
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी300+188लगातार तेज पारियाँ
चैंपियंस ट्रॉफी 2025टीम टॉप स्कोररभारत की जीत में अहम भूमिका

इतने मजबूत रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें स्क्वॉड में जगह न मिलना हैरान करता है।

अजीत अगरकर का बचाव

चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर ने सफाई देते हुए कहा कि यह मामला “किसे बाहर किया जाए” वाला है। उनकी दलील थी कि स्क्वॉड पहले से ही संतुलित है, और अय्यर को शामिल करने के लिए किसी अन्य को हटाना पड़ता। लेकिन अय्यर को रिजर्व लिस्ट में भी जगह न देना उनकी बात को कमजोर बना देता है।

बड़े नामों का दबाव

सिर्फ रमेश ही नहीं, कई पूर्व खिलाड़ियों ने अय्यर की अनदेखी को गलत बताया है। सवाल यह है कि जब कोई खिलाड़ी लगातार रन बना रहा हो और बड़े टूर्नामेंट में भरोसेमंद साबित हो चुका हो, तो उसे नजरअंदाज क्यों किया गया? क्या यह कोच की पर्सनल प्रेफरेंस का मामला है या चयन समिति और टीम मैनेजमेंट के बीच शक्ति संतुलन का?

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