Asia Cup 2025 – भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा ही हाई-वोल्टेज ड्रामा लाता है, लेकिन इस बार चर्चा रन-रेट से ज्यादा ‘नो हैंडशेक’ विवाद पर हो रही है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और उसके चीफ मोहसिन नकवी ने इस मुद्दे को इतना तूल दिया कि एशिया कप से बहिष्कार तक की धमकी दे डाली।
लेकिन हकीकत में हुआ क्या? आईसीसी ने उनकी मांग ठुकरा दी और अब नकवी और PCB दोनों चुप्पी साधे बैठे हैं। वजह साफ है—पैसों का भारी नुकसान।
हैंडशेक विवाद पर पाकिस्तान का बवाल
पाकिस्तान का आरोप है कि भारत-पाक मैच के दौरान रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट ने उनके कप्तान सलमान अली आगा को टॉस के बाद सूर्यकुमार यादव से हाथ मिलाने से रोका।
इसी को लेकर PCB ने एशियन क्रिकेट काउंसिल में शोर मचाया और मैच रेफरी को पूरे टूर्नामेंट से हटाने की मांग की। इतना ही नहीं, एशिया कप से बाहर होने की धमकी भी दी।
आईसीसी ने मांग खारिज की
मंगलवार को आईसीसी ने पाकिस्तान की ये मांग सिरे से खारिज कर दी। बोर्ड ने साफ कर दिया कि किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। नतीजा—PCB की धमकी महज़ बयानबाज़ी साबित हुई।
आर्थिक नुकसान का डर
दरअसल, PCB के तेवर ढीले पड़ने की असली वजह पैसा है। अगर पाकिस्तान एशिया कप का बहिष्कार करता, तो उसे 1.2 से 1.6 करोड़ डॉलर (करीब 106-141 करोड़ रुपये) का नुकसान झेलना पड़ता। ये रकम छोटी नहीं, क्योंकि PCB के सालाना बजट का लगभग 7% हिस्सा सिर्फ एशिया कप से आता है।
कमाई का बंटवारा
एशिया कप की कमाई का ढांचा कुछ इस तरह है:
हिस्सा लेने वाले | राजस्व का प्रतिशत |
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भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान | 15-15% (कुल 75%) |
एसोसिएट देश (UAE, ओमान आदि) | 25% |
यह कमाई मुख्य रूप से ब्रॉडकास्ट राइट्स, डिजिटल डील्स, स्पॉन्सरशिप और टिकट बिक्री से आती है। यानी बहिष्कार का मतलब करोड़ों गँवाना और आईसीसी की अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलना होता।
चुप्पी साध गया PCB
मोहसिन नकवी जो एशियन क्रिकेट काउंसिल के प्रमुख भी हैं और पाकिस्तान सरकार में मंत्री भी, उन्होंने आखिरकार यू-टर्न लिया। पाकिस्तान ने प्री-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस तक रद्द कर दी और अब बुधवार को UAE के खिलाफ मुकाबले पर चुपचाप फोकस कर रहा है।