Asia Cup – पूर्व भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी ने आधुनिक क्रिकेट की गिरती नैतिकता पर करारा हमला बोला है। उनका कहना है कि भारत समेत वैश्विक स्तर पर क्रिकेट अब उस खेल भावना से दूर होता जा रहा है, जो कभी सज्जनता और भाईचारे का प्रतीक हुआ करता था।
किरमानी ने टीम इंडिया पर सीधा आरोप लगाया कि उसने मैदान पर राजनीति को जगह देकर इस खेल की आत्मा को चोट पहुंचाई है।
किरमानी की तीखी आलोचना
किरमानी ने कहा, “भारतीय टीम और वैश्विक क्रिकेट संकट में है। अशिष्ट व्यवहार, अहंकार और अनादर ने मैदान के सरल शिष्टाचार की जगह ले ली है। यह सिर्फ एशिया कप की बात नहीं है, बल्कि एक व्यापक और चिंताजनक प्रवृत्ति है।”
उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और यूएई से संदेश मिल रहे हैं, जिनमें सवाल उठाए जा रहे हैं—“भारतीय टीम को क्या हो गया है? मैदान पर इतनी राजनीति क्यों?”
राजनीति और क्रिकेट का अलगाव जरूरी
किरमानी का मानना है कि क्रिकेट में राजनीति का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। चाहे वह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा हो या राहत कार्य जैसे नेक काम—मैदान पर खेल से बाहर की बातें नहीं लानी चाहिए। उन्होंने कहा, “क्रिकेट राजनीतिक लाभ का मंच नहीं है। यह हर खिलाड़ी, हर टीम और हर बोर्ड का सिद्धांत होना चाहिए।”
पुराने दौर की मिसाल
अपने समय को याद करते हुए किरमानी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “हमारे जमाने में क्रिकेट सम्मान और भाईचारे का प्रतीक था। भारत-पाक मैचों में खिलाड़ी परिवार जैसा व्यवहार करते थे, हालचाल पूछते थे, गर्मजोशी से मिलते थे। वह दुनिया अब कहीं खो गई है।”
बदलते क्रिकेट पर निराशा
किरमानी ने कहा कि आज उन्हें विदेशों से मिलने वाले संदेशों में निराशा और घृणा झलकती है। “एशिया कप में जो हुआ, वह क्रिकेट की मौजूदा स्थिति का आईना है। यह मेरे लिए और लाखों क्रिकेट प्रेमियों के लिए बेहद दुखद है, जिन्होंने इस खेल को उसकी गरिमा के लिए चाहा था।”
अंतिम चेतावनी: क्रिकेट की आत्मा खतरे में
किरमानी ने कहा, “मैं एक क्रिकेटर और इस खेल का हिस्सा होने के नाते सिर झुकाता हूं। राजनीति मैदान के बाहर ही रहनी चाहिए। सम्मान, सौहार्द और सज्जनता मैदान के भीतर होनी चाहिए, वरना क्रिकेट की आत्मा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।”