Chahal – भारत के स्टार स्पिनर युजवेंद्र चहल फिर से सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह क्रिकेट नहीं, बल्कि Delhi High Court Alimony Comment है। दरअसल, कोर्ट की हालिया टिप्पणी पर चहल ने ऐसा रिएक्शन दिया कि सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया।
उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी पर खबर का स्क्रीनशॉट डालते हुए लिखा—“मां कसम खाओ, पलटोगे नहीं इस डिसीजन से।” हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने वो स्टोरी डिलीट कर दी। लेकिन तब तक ये मामला सोशल मीडिया पर छा चुका था।
युजवेंद्र चहल का रिएक्शन क्यों बना चर्चा का विषय
चहल की ये इंस्टा स्टोरी उस वक्त आई जब दिल्ली हाई कोर्ट ने भरण-पोषण यानी Alimony को लेकर एक अहम टिप्पणी दी। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पार्टनर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है, तो वह एलिमनी की हकदार नहीं है। यानी अगर पत्नी खुद कमा रही है और अच्छी कमाई कर रही है, तो वह पति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती।
शायद यही वजह थी कि चहल इस खबर से खुद को जोड़ बैठे। क्योंकि उनकी निजी जिंदगी भी कुछ साल पहले ऐसे ही एक विवाद से गुजरी थी। उन्होंने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर धनश्री वर्मा से दिसंबर 2020 में शादी की थी, लेकिन रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चला।
तलाक और एलिमनी: चहल-धनश्री केस की पृष्ठभूमि
जून 2022 में दोनों अलग हो गए और फिर शुरू हुआ एक लंबा कानूनी संघर्ष—तलाक, गुजारा भत्ता और एलिमनी पर। आखिरकार बॉम्बे हाई कोर्ट ने 20 मार्च 2025 को तलाक को मंजूरी दी और चहल को धनश्री को एकमुश्त ₹4.75 करोड़ की राशि एलिमनी के रूप में देनी पड़ी।
| घटना | विवरण |
|---|---|
| शादी की तारीख | दिसंबर 2020 |
| अलगाव | जून 2022 |
| तलाक की तारीख | 20 मार्च 2025 |
| एलिमनी राशि | ₹4.75 करोड़ |
| अदालत | बॉम्बे हाई कोर्ट |
यही कारण है कि जब दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि “आर्थिक रूप से स्वतंत्र पत्नी को एलिमनी नहीं मिलनी चाहिए,” तो चहल का ध्यान तुरंत उस खबर पर गया। शायद उसी पुराने दर्द ने उन्हें इंस्टाग्राम पर रिएक्शन देने को मजबूर कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी क्या थी
इस सप्ताह जारी किए गए 37 पेज के फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि “भरण-पोषण का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर जीवनसाथी को सुरक्षा देना है, न कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व्यक्ति को और अधिक सुविधा देना।”
मामला एक महिला रेलवे ट्रैफिक सर्विस अधिकारी का था, जिसने अपने वकील पति से तलाक के बाद एलिमनी की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने कहा कि चूंकि वह खुद ग्रुप ‘A’ ऑफिसर हैं और स्थायी वेतन पा रही हैं, इसलिए वह एलिमनी की हकदार नहीं हैं।
यह फैसला भारत में तलाक और गुजारा भत्ता कानूनों पर एक अहम मिसाल बन सकता है।
सोशल मीडिया पर मिला जबरदस्त रिएक्शन
जैसे ही चहल की इंस्टा स्टोरी वायरल हुई, फैंस ने मिलेजुले रिएक्शन दिए। कुछ ने कहा कि “भाई ने दिल से बोला,” तो कुछ ने कहा कि “पब्लिकली इस तरह रिएक्ट नहीं करना चाहिए।” लेकिन एक बात तय है—Delhi High Court Alimony Comment ने क्रिकेट फैंस से लेकर आम लोगों तक, सबका ध्यान खींच लिया है।
क्या एलिमनी कानून में बदलाव की जरूरत है?
भारत में एलिमनी से जुड़े कानूनों की व्याख्या कई बार अलग-अलग अदालतों ने अलग तरह से की है। हालांकि Supreme Court of India ने भी कई फैसलों में कहा है कि “भरण-पोषण का उद्देश्य समानता है, न कि सज़ा।” इसका मतलब यह नहीं कि हर तलाकशुदा पत्नी एलिमनी की हकदार होगी—यह निर्भर करता है कि उसकी आर्थिक स्थिति क्या है।
वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर महिलाएं या पुरुष एलिमनी के पात्र नहीं होने चाहिए—यह सोच अब कानूनी तर्क के रूप में और मजबूत हो रही है।
क्या चहल का दर्द अभी बाकी है?
चहल भले ही मैदान पर अपनी गुगली से बल्लेबाजों को चकमा देते हों, लेकिन निजी जिंदगी में उन्हें एक ऐसा झटका लगा जिसने शायद उनका नजरिया बदल दिया। इंस्टा स्टोरी भले ही डिलीट हो गई, लेकिन उसने बहुत कुछ कह दिया—“मां कसम खाओ, पलटोगे नहीं।” यह लाइन सिर्फ एक मज़ाक नहीं थी, शायद एक दिल का बोझ भी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट का ये फैसला आने वाले समय में कई तलाक मामलों के लिए मिसाल बनेगा। वहीं, युजवेंद्र चहल का इंस्टा रिएक्शन इस बात की याद दिलाता है कि कानूनी फैसले सिर्फ कानून की किताबों में नहीं रहते, वो लोगों की भावनाओं को भी छूते हैं।















