BCCI – ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया टी20 सीरीज में टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन को लेकर खूब बहस हुई। खासकर तब जब गौतम गंभीर की कोचिंग में अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव जैसे अहम खिलाड़ी बाहर बैठे नजर आए।
सोशल मीडिया पर सवाल उठे—आखिर इतने भरोसेमंद खिलाड़ी बेंच पर क्यों? अब खुद भारतीय हेड कोच गौतम गंभीर ने इस विवाद पर चुप्पी तोड़ी है और एक लंबा जवाब दिया है।
बीसीसीआई द्वारा जारी वीडियो में गंभीर साफ-साफ कहते दिखे—“एक कोच के तौर पर मेरे लिए यही सबसे मुश्किल काम है।” उन्होंने माना कि भारत की बेंच स्ट्रेंथ बेहद मजबूत है, लेकिन आखिरकार मैदान पर उतरने का मौका सिर्फ 11 खिलाड़ियों को ही मिल सकता है।
“सबसे मुश्किल काम यही है” – गौतम गंभीर का बयान
गंभीर ने कहा, “एक कोच के तौर पर मेरे लिए सबसे मुश्किल काम यह है कि इतने टैलेंटेड खिलाड़ियों में से सिर्फ 11 को चुनना। कभी-कभी बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को देखकर लगता है कि हर कोई प्लेइंग इलेवन में होने का हकदार है, लेकिन आपको उस दिन के लिए सबसे सही कॉम्बिनेशन चुनना होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला जितना रणनीतिक होता है, उतना ही भावनात्मक भी। “जब आप किसी खिलाड़ी से कहते हैं कि वह आज नहीं खेलेगा, यह बातचीत बहुत कठिन होती है—खिलाड़ी के लिए भी और कोच के लिए भी,” गंभीर ने जोड़ा।
“संवाद ही कुंजी है” – गंभीर ने बताया टीम प्रबंधन का फॉर्मूला
गौतम गंभीर के मुताबिक, कोचिंग का सबसे अहम हिस्सा संवाद है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए सबसे जरूरी बात है बातचीत और संवाद। संवाद हमेशा स्पष्ट और ईमानदार होना चाहिए। अगर खिलाड़ी यह समझ जाए कि जो कहा जा रहा है वो दिल से कहा जा रहा है, तो वह उसे स्वीकार करता है।”
गंभीर ने माना कि यह संवाद हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन टीम के माहौल को सकारात्मक बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है। “हमारे ग्रुप में ईमानदारी और पारदर्शिता पर बहुत जोर दिया जाता है। यह एक ऐसा ड्रेसिंग रूम है जहाँ हर कोई एक-दूसरे का सम्मान करता है,” उन्होंने कहा।
“बातें ड्रेसिंग रूम तक ही रहनी चाहिए”
गंभीर ने मीडिया में फैलने वाले शोर और अफवाहों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ कहा कि खिलाड़ी और कोच के बीच की बातचीत निजी होनी चाहिए। “अगर आप सच्चे हैं, ईमानदार हैं और साफ-साफ बात करते हैं, तो खिलाड़ी समझ जाता है। लेकिन ऐसी बातचीत ड्रेसिंग रूम से बाहर नहीं जानी चाहिए। लोग बाहर अलग-अलग धारणाएं बना लेते हैं, जो सही नहीं है।”
उनके मुताबिक, यही पारदर्शिता और प्रोफेशनल ईमानदारी टीम इंडिया को और मजबूत बना रही है।
“टीम इंडिया की बेंच है सोने की खान”
भारत की मौजूदा बेंच स्ट्रेंथ शायद दुनिया की सबसे गहरी और मजबूत मानी जाती है। कुलदीप यादव और अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी जब बाहर बैठते हैं, तो यह साफ संकेत है कि टीम में टैलेंट की कोई कमी नहीं।
गंभीर की कोचिंग फिलॉसफी: कड़ा प्यार, साफ बातचीत
गंभीर का कोचिंग स्टाइल हमेशा से ‘टफ लव’ यानी सख्त लेकिन न्यायपूर्ण रहा है। चाहे केकेआर की कप्तानी हो या अब भारतीय टीम की कोचिंग—वे ईमानदारी और जवाबदेही को प्राथमिकता देते हैं।
उनका कहना है, “हम सब यहाँ जीतने के लिए हैं। लेकिन जीत तभी टिकाऊ बनती है जब ड्रेसिंग रूम में भरोसा और पारदर्शिता हो।”
नतीजा: कोचिंग के पीछे की ‘मानव कहानी’
गंभीर के इस बयान ने यह साफ कर दिया है कि टीम चयन सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और मानवीय प्रक्रिया भी है। हर मैच से पहले 11 खिलाड़ियों का चयन करते समय कोच के मन में सैकड़ों विचार दौड़ते हैं। और हर खिलाड़ी का मनोबल बनाए रखना—वो असली कला है, जो कागज पर नहीं दिखती।















