Test – कोलकाता टेस्ट में मिली हार ने भारतीय क्रिकेट के भीतर कई सवाल खड़े कर दिए हैं—और सबसे तीखी प्रतिक्रिया आई है उन चेतेश्वर पुजारा से जिन्हें दुनिया भर में धैर्य की मिसाल माना जाता है।
मैदान पर सालों तक घंटों खड़े रहने वाला यह बल्लेबाज़ अब कमेंट्री बॉक्स में मुकाबले को देख रहा था, लेकिन 124 रन जैसे छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया का 93 पर ढेर हो जाना उन्हें भी हिला गया।
पुजारा ने साफ शब्दों में कहा—“यह हार पचने वाली नहीं है… यह अस्वीकार्य है।”
क्रिकेट जगत में यह चर्चा है कि कोहली, रोहित, अश्विन और पुजारा जैसे सीनियर खिलाड़ियों के संन्यास के बाद भारतीय टेस्ट टीम ट्रांज़िशन में है। लेकिन पुजारा इस तर्क को ढाल की तरह इस्तेमाल होते नहीं देखना चाहते।
स्टार स्पोर्ट्स पर उन्होंने कहा—
“मैं इससे सहमत नहीं हूं। ट्रांज़िशन की वजह से भारत घर में हार जाए, यह मानना मुश्किल है। भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।”
“जायसवाल, राहुल, गिल, वॉशिंगटन… इतने रिकॉर्ड किसलिए?”
पुजारा ने भारत के युवा बल्लेबाजों का बचाव करते हुए कहा कि घरेलू मैदान पर हार का जिम्मा खिलाड़ियों की क्षमता पर नहीं थोपा जा सकता।
उन्होंने कहा—
“यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, केएल राहुल, वॉशिंगटन सुंदर… इन सभी के फर्स्ट-क्लास रिकॉर्ड देखें। इतनी क्षमता के बावजूद अगर भारत अपने घर में हारता है, तो कहीं न कहीं रणनीति में गड़बड़ी है।”
पुजारा ने इस गड़बड़ी की दिशा भी साफ की—भारत की लगातार टर्निंग पिचों पर निर्भरता।
“अच्छी पिच होती तो जीतने का मौका ज्यादा था”—पुजारा
टेस्ट क्रिकेट के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक पुजारा ने समझाया कि लगातार तेज़ घूमने वाली पिचें भारत की जीत का प्रतिशत कम कर रही हैं।
उन्होंने कहा—
“अगर मैच अच्छे विकेट पर हुआ होता, तो भारत की जीत की संभावना ज्यादा थी। टेस्ट मैच को आप कैसे परिभाषित करते हैं? किस तरह की पिचें आपकी जीत के मौके बढ़ाती हैं?
बहुत अधिक टर्न लेने वाली पिचें विरोधी टीम को भी मैच में बराबर कर देती हैं।”
कोलकाता टेस्ट की यह हार उस पुराने घाव को भी कुरेद गई, जिसे न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले साल 3-0 की हार के बाद भुलाना मुश्किल हुआ था।
कई सवाल फिर वहीं लौट आए हैं—क्या टीम ने सबक सीखा? क्या पिच रणनीति दोबारा गलत दिशा में जा रही है? और सबसे जरूरी—क्या घरेलू क्रिकेट में भारत अपनी मजबूती खो रहा है?














