Test – दिल्ली के स्पोर्ट्स डेस्क में माहौल आज कुछ बदला-बदला था। कॉफी मशीन के पास खड़े रिपोर्टरों की चर्चा किसी IPL ट्रेड की नहीं, बल्कि उस फॉर्मेट की थी जिसे हम सालों से “अपना असली क्रिकेट” कहते आए हैं—टेस्ट।
भारत की टेस्ट टीम को दक्षिण अफ्रीका में 0-2 की हार मिली, और इस बार न स्कोरलाइन ने चौंकाया, न हालात ने… बल्कि खामोशी ने। क्योंकि यह तीसरी सीरीज़ में से दूसरी थी जिसमें भारत का पूरी तरह सूपड़ा साफ हुआ।
और इसी खामोशी को चीरते हुए सामने आया एक बयान—कड़वा भी, जरूरी भी—हरभजन सिंह का।
जिसने भारतीय टेस्ट क्रिकेट की जड़ों पर उंगली रख दी।
“हम 5 दिन खेलना भूल गए हैं”—भज्जी का दो टूक सवाल
अपने यूट्यूब चैनल पर भज्जी की आवाज़ में वो ठहराव था जो शायद सालों की क्रिकेट समझ से आता है।
उन्होंने साफ़ कहा कि भारत में जरूरत से ज़्यादा स्पिन-फ्रेंडली विकेट तैयार किए जा रहे हैं।
ऐसे विकेट जिन पर टेस्ट मैच 5 दिन नहीं, 2–3 दिन में ही निपट जाते हैं।
उनके शब्दों में:
“हमें नहीं पता कि पांच दिन तक मैच कैसे खेलना है। हमें ऐसे विकेटों पर खेलने की आदत हो गई है जहां मैच दो-तीन दिन में खत्म हो जाते हैं।”
यानी भारत घर में जीत रहा है, लेकिन सीख क्या रहा है?
और यही सवाल सबसे ज्यादा चुभता है।
“कोहली-पुजारा-रहाणे का औसत 50 से गिरकर 35–40”—बड़ी चेतावनी
भज्जी ने सिर्फ विकेट की नहीं, बल्लेबाजी गुणवत्ता की गिरावट की भी बात की।
उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों में बल्लेबाजी का औसत गिरा है क्योंकि खिलाड़ियों को लंबी पारी के लिए तैयार करने वाली पिचें मिल ही नहीं रहीं।
उनके मुताबिक:
“विराट, पुजारा, रहाणे जैसे बल्लेबाजों का औसत 50 से गिरकर 35–40 हो गया है… क्योंकि हम 5 दिन खेलने लायक विकेट पर खेल ही नहीं रहे।”
यह बयान बड़ा है—बहुत बड़ा।
विराट कोहली की तकनीक पर भज्जी ने कभी उंगली नहीं उठाई—लेकिन यहां वह पूरे इकोसिस्टम की बात कर रहे हैं जो बल्लेबाजी के टेम्परामेंट को धीरे-धीरे खा रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में क्या बदल गया?
सच्चाई यह है कि भारत ने उनके घर में खेलने की कला सीखी ही नहीं।
स्पिन की ओवर-डिपेंडेंसी ने तेज़ गेंदबाजी की तैयारी को धीमा किया।
तेज़ उछाल, सीम मूवमेंट, और पांच दिन तक ग्राइंड—ये चीजें अब भारतीय टेस्ट बैटिंग की मुख्य ताकत में शामिल नहीं दिख रही हैं।
भारत का विदेशी टेस्ट रिकॉर्ड पिछले दशक में अच्छा रहा है, लेकिन लगातार दो सीरीज़ में क्लीन स्वीप भारत को ऐसे मोड़ पर खड़ा कर रही हैं जहां सुधार की मांग न सिर्फ फैंस कर रहे हैं, बल्कि खेल के दिग्गज भी।
“बेहतर विकेट तैयार करो—नतीजे बाद में देखो”—भज्जी का बड़ा संदेश
यह बात दिलचस्प है कि भज्जी ने कहीं भी “हार” पर ज्यादा चर्चा नहीं की।
उनका फोकस सिर्फ सिस्टम पर रहा।
उन्होंने कहा:
“इंडियन क्रिकेट को अपने अतीत को भूल जाना चाहिए… अच्छे नतीजों के बजाय अच्छी विकेटों को प्राथमिकता दें।”
ये वक्तव्य बहुत कुछ कहता है।
दरअसल, भारतीय क्रिकेट ने घरेलू मैदान पर जीत के लिए इतनी टेलर-मेड स्पिन ट्रैक्स बनाई हैं कि अब वही आदत टीम को बाहर जाकर नुकसान पहुंचा रही है।
कुछ समय पहले भारत में ऐसी पिचें तैयार हुईं जिन्होंने पहले दिन की दोपहर तक ही गेंदबाजों को इतना मदद दी कि बल्लेबाजों को टिकना मुश्किल हो गया।
नतीजा: बल्लेबाज 30-40 ओवर खेलने की प्रैक्टिस ही नहीं कर पा रहे।
टेस्ट क्रिकेट: धैर्य और डिसिप्लिन—जो भारत में कम होता जा रहा है?
भज्जी के शब्दों में:
“टेम्परामेंट, कड़ी मेहनत और डिसिप्लिन की कमी पिछले कई सालों से दिख रही है।”
यह बयान तय करता है कि समस्या खिलाड़ी की नहीं, माहौल की है।
किसी भी फॉर्मेट में स्किल वहीं रहती है—लेकिन मैच का “टेम्परामेंट” सिर्फ मैच के हालात से आता है।
और वर्तमान में भारत में टेस्ट मैच की परिस्थितियाँ बहुत जल्दी खत्म होने वाली पिचें बना रही हैं—जहां बल्लेबाजों को वह समय ही नहीं मिल रहा जिसमें उनकी तकनीक, संतुलन और मानसिक ताकत का परीक्षण हो।
“अच्छी विकेट पर मैच पांच दिन चलता है… यही असली मुकाबला है”
भज्जी ने न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका को “लकी” कहकर जो बात कही, उसका मतलब यह है कि:
अच्छी विकेट पर जीत असली होती है—क्योंकि पांच दिन तक टीम की जान परख ली जाती है।
घर जैसा फायदा नहीं, गेंदबाज का जादू नहीं—बल्कि क्रिकेट स्किल का असली इम्तेहान।
और सच कहें तो टेस्ट क्रिकेट की असली खूबसूरती यही है—
पांच दिन में टिकने वाली टीम ही असली दावेदार।
भारतीय क्रिकेट क्या कर सकता है?—आने वाले कदम
नीचे कुछ ऐसे सुझाव हैं जो विशेषज्ञ भी अक्सर देते हैं और भज्जी के बयान से भी जुड़े लगते हैं:
| ज़रूरत | कारण |
|---|---|
| स्पोर्टिंग पिचें | बल्लेबाजों को लंबी पारी, तेज़ गेंदबाजी को सहायता |
| सीम मूवमेंट वाली पिचों पर घरेलू मैच | विदेशी दौरे के लिए तैयारी |
| चार-दिवसीय मैच के बजाय लंबे प्रैक्टिस गेम | बेहतर मैच टेम्परामेंट |
| अकादमी स्तर पर पांच-दिवसीय क्रिकेट पर जोर | युवा खिलाड़ियों की नींव मजबूत करने के लिए |















