SMAT – ब्लू जर्सी की वापसी कभी भी साधारण नहीं होती—और हार्दिक पांड्या तो खैर उन खिलाड़ियों में आते हैं जिनकी हर एंट्री, हर स्ट्रोक, हर ओवर किसी न्यूज़ बुलेटिन जितना असर छोड़ जाता है।
दो महीने की चुप्पी, मैदान से लंबी दूरी, फिटनेस को लेकर अटकलों की भरमार… लेकिन 2 दिसंबर की शाम सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बड़ौदा की जर्सी पहनकर लौटा एक खिलाड़ी बता रहा था कि कहानी अब रीस्टार्ट हो चुकी है।
और शुरुआत?
42 गेंदों में 77 रन।
स्ट्राइक रेट ऊपर, शॉट्स का एंगल चौड़ा, और हर बाउंड्री में वही पुरानी फुर्ती।
गेंदबाज़ी थोड़ी महंगी रही—52 रन खर्च किए, एक विकेट मिला—लेकिन पांड्या की बॉडी लैंग्वेज में कहीं भी वह संकोच नहीं दिखा जो चोट से लौटने वाले खिलाड़ियों में दिखता है।
इसका एक ही मतलब है: साउथ अफ्रीका T20 सीरीज में हार्दिक पांड्या खेलेंगे—और पूरी तैयारी के साथ।
बड़ौदा vs पंजाब—हार्दिक की पारी ने मैच की दिशा बदली
बड़ौदा के लिए खेलते हुए हार्दिक पांड्या ने जैसे ही अपनी पहली बाउंड्री लगाई, लगा कहानी जल्दी गरम होने वाली है।
77 रन, सिर्फ 42 गेंदें, 7 चौके, 4 छक्के—
यह वही टेम्पो है जिसने IPL, एशिया कप और T20I फॉर्मेट में हार्दिक को भारत का सबसे कीमती ऑलराउंडर बनाया।
उनकी अटैकिंग शॉट्स में एक पुरानी रिद्म नजर आई—फ्रंट-फुट स्मैश, बैक-फुट से फ्लैट छक्का, और क्रीज के बाहर निकलकर फास्ट बॉलर्स को मारने की पुरानी कला।
हाँ, गेंदबाज़ी महंगी थी—4 ओवर में 52 रन।
लेकिन हार्दिक के ओवरों में स्पीड और रन-अप में संकोच नहीं था।
वह “100% फिट” की दिशा में चल चुके खिलाड़ी जैसे दिख रहे थे, न कि “रीहैब से निकले हुए सावधान पेसर” जैसे।
और सबसे महत्वपूर्ण—बड़ौदा मैच जीता।
लंबी दूरी के बाद यह शुरुआत हौसला बढ़ाने वाली है।
चोट का सफर—2025 एशिया कप से अब तक कैसे घूमी कहानी
हार्दिक ने आखिरी प्रोफेशनल मैच 26 सितंबर 2025, एशिया कप सुपर 4 vs श्रीलंका में खेला था।
उसी मैच में वह चोटिल हुए और
– फाइनल मिस किया
– पूरी सीरीज से बाहर रहे
– कई बार फिटनेस को लेकर विरोधाभासी रिपोर्ट्स सामने आईं
T20 वर्ल्ड कप 2026 नज़दीक है, और भारत के लिए यह राहत की बात है कि हार्दिक समय रहते मैदान पर लौट आए।
व्हाइट-बॉल क्रिकेट में उनकी भूमिका मात्र “एक जगह भरने” की नहीं, बल्कि टीम बैलेंस की रीढ़ की है।
इतिहास गवाह है:
- गेंदबाज़ भी
- फिनिशर भी
- पावरप्ले में मार भी
- डेथ ओवर्स में हार्ड लेंथ भी
- और कप्तानी में फुर्ती भी
हार्दिक पांड्या होने का मतलब है कि भारत को एक ही खिलाड़ी में तीन खिलाड़ी मिल जाते हैं—यही वजह है कि अक्सर टीम उनके बिना अधूरी लगती है।
भारत की T20I टीम के लिए यह वापसी क्यों निर्णायक है?
साउथ अफ्रीका का दौरा हमेशा मुश्किल माना गया है—सतह तेज़, बाउंस अनियमित, गेंदबाज़ आक्रामक।
ऐसी परिस्थितियों में भारत के पास एक ऐसा ऑलराउंडर होना बेहद जरूरी है जो:
- दोहरी भूमिका निभा सके
- 6th bowling option बन सके
- Power-hitting कर सके
- Tactical maturity से मैच फिनिश कर सके
हार्दिक इन चारों बॉक्स को टिक करते हैं।
यह भी सच है—भारत की T20I टीम पिछले छह महीनों से मिडिल-ऑर्डर स्टेबिलिटी की तलाश में है।
हार्दिक की फिटनेस उस समस्या का आधा हल है।
आने वाले दिनों में क्या उम्मीद?
अगर बड़ौदा का यह मैच टेम्पलेट है, तो आने वाले सप्ताहों में:
- हार्दिक के ओवर मैनेजमेंट पर टीम मैनेजमेंट नज़र रखेगा
- उनकी स्पीड और बैक-एंड लोड को मॉनिटर किया जाएगा
- बल्लेबाज़ी में उन्हें वही फ्रीडम दिया जाएगा जो वह चाहते हैं
- और सीरीज की शुरुआत में ही वे Playing XI में होंगे
वह खिलाड़ी जो 2023 विश्व कप के बीच चोटिल होकर बाहर चला गया था, और फिर महीनों बाद लौटा था—अब वही खिलाड़ी 2026 के वर्ल्ड कप के लिए भारत का सबसे बड़ा X-Factor बन सकता है।















