WTC – ड्रेसिंग रूम के बाहर माहौल जितना चुप्पा दिखाई देता है, अंदर उतना ही उबल रहा है—और इस बार आवाज़ किसी पूर्व क्रिकेटर की नहीं, बल्कि टीम इंडिया के सबसे सफल कोचों में से एक रवि शास्त्री की है।
एक ऐसे दौर में जब भारत की टेस्ट टीम घर में सीरीज दर सीरीज लड़खड़ा रही है, शास्त्री ने मौजूदा मुख्य कोच गौतम गंभीर को सीधा, स्पष्ट और लगभग चेतावनी जैसा संदेश दे दिया है।
“अगर प्रदर्शन नहीं सुधरा… तो बर्खास्त भी किया जा सकता है।”
शास्त्री के शब्दों का वजन उस व्यक्ति का वजन है जिसने भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1 और विश्व क्रिकेट की सबसे चुनौतीपूर्ण टीमों में से एक बनाया था।
शास्त्री की दो-टूक: “गंभीर, दबाव मत लो—पर हर खिलाड़ी से साफ बात करो”
प्रभात खबर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने गंभीर को सलाह दी—
धैर्य, कम्युनिकेशन और मैनेजमेंट स्किल… यही किसी टेस्ट टीम की रीढ़ हैं।
और अगर भारत अगले कुछ महीनों में सुधार नहीं दिखाता, तो कोचिंग की कुर्सी हिलना लाज़िमी है।
शास्त्री का बयान था:
“अगर आपका प्रदर्शन खराब है तब आप बर्खास्त किए जा सकते हैं। इसलिए आपको धैर्य बनाए रखना होगा। कम्यूनिकेशन बहुत जरूरी है… तभी आप खिलाड़ियों को जीत के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसे प्रेशर की तरह मत लो।”
यह लाइन सिर्फ गंभीर को नहीं—पूरे सिस्टम को एक आईना दिखाती है।
जिम्मेदारी सिर्फ कोच की नहीं—“पूरे ड्रेसिंग रूम की”
दिलचस्प बात यह रही कि शास्त्री ने गंभीर को दोषी नहीं ठहराया।
उन्होंने साफ कहा:
“दक्षिण अफ्रीका ने भारत को हराया है, किसी एक व्यक्ति को नहीं। जिम्मेदारी पूरी टीम—मैनेजमेंट और खिलाड़ी—सबकी है।”
साफ है, शास्त्री को लगता है कि समस्या व्यक्ति आधारित नहीं बल्कि सिस्टम आधारित है।
लेकिन सुधार की शुरुआत कोच से ही होनी है—यही उनका संकेत था।
गंभीर का टेस्ट रिकॉर्ड—एक साल में भारत की सबसे बड़ी गिरावट
गौतम गंभीर के कार्यकाल में भारतीय टेस्ट क्रिकेट की चाल इतनी तेज़ी से नीचे गई है कि 12 साल से चल रही “घर में अजेय” वाली धाक पूरी तरह टूट गई।
गंभीर के आने के बाद भारत की टेस्ट विफलताएँ
| सीरीज | परिणाम | स्थान |
|---|---|---|
| बनाम न्यूजीलैंड (2024) | भारत 0–3 से हारा | घर |
| बनाम दक्षिण अफ्रीका (2025) | भारत 0–2 से हारा | घर |
| पिछले 7 टेस्ट (घर) | 5 हार | — |
भारत ने 2012 से 2024 तक घर में एक भी टेस्ट सीरीज नहीं हारी थी।
लेकिन गंभीर के पहले ही वर्ष में दो क्लीन स्वीप—यह आँकड़ा किसी भी कोच पर दबाव बढ़ाने के लिए काफी है।
शास्त्री का दौर: भारतीय टेस्ट इतिहास के सबसे सुनहरे पन्नों में से एक
शास्त्री के कार्यकाल (2017–2021) की तुलना करें तो यह गिरावट और भी नंगी दिखाई देती है।
शास्त्री के दौर की उपलब्धियाँ
| उपलब्धि | विवरण |
|---|---|
| टेस्ट जीत प्रतिशत | 65% |
| ऑस्ट्रेलिया में एतिहासिक जीत | 2018–19 & 2020–21 लगातार दो बार |
| घर में टेस्ट प्रदर्शन | लगभग अजेय |
| टेस्ट रैंकिंग | 42 महीनों तक नंबर-1 |
| विश्व टेस्ट चैंपियनशिप | 2021 फाइनल तक पहुँचे |
यही वजह है कि जब शास्त्री बोलते हैं, तो वह आलोचना नहीं—अनुभव आधारित चेतावनी होती है।
गंभीर के सामने सबसे बड़ी चुनौती—“संचार” और “संतुलन”
पिछले छह महीनों में भारतीय टेस्ट टीम में यह स्पष्ट दिखा है:
- कोई स्पष्ट बैटिंग प्लान नहीं
- बोलिंग बदलाव में अनिश्चितता
- प्लेइंग XI में बार-बार फेरबदल
- वरिष्ठ खिलाड़ियों की भूमिका अस्पष्ट
- ड्रेसिंग रूम में बढ़ते मतभेदों की खबरें
शास्त्री ने जिस “कम्यूनिकेशन” का ज़िक्र किया, वह दरअसल ऐसी ही टूटती कड़ियों पर इशारा है।
गंभीर को क्या करना पड़ेगा?
- खिलाड़ियों से स्पष्ट और ईमानदार बातचीत
- पुरानी भारतीय टेस्ट पहचान—लंबी बल्लेबाज़ी + अनुशासित गेंदबाज़ी—की वापसी
- रणनीति को स्थिर करना
- ड्रेसिंग रूम का टेम्पो शांत और पेशेवर रखना
यह आसान काम नहीं है, पर गंभीर के लिए यही असली अग्निपरीक्षा है।
आगे भारत के लिए कितना मुश्किल है रास्ता?
WTC साइकिल का मध्य चरण आने वाला है—यह वह समय है जब हर सीरीज डबल प्वाइंट मैच बन जाती है।
गंभीर को सिर्फ “घर में हार” नहीं, बल्कि आने वाली विदेशी सीरीज की चुनौती भी संभालनी होगी।
टीम के भीतर भी कई प्रश्न हैं:
- रहाणे-पुजारा युग के बाद मिडिल ऑर्डर कौन संभाले?
- युवा गेंदबाज़ों को लंबे स्पैल कैसे दिए जाएँ?
- सिंक्रोनाइज़्ड बैटिंग-बॉलिंग प्लान कैसे लौटे?
अगर भारत तुरंत नहीं संभला, तो WTC फाइनल दौड़ से बाहर होने का खतरा वास्तविक है।















