Test : कोहली और रोहित की मौजूदगी से आत्मविश्वास में उछाल – तिलक का खुला बयान

Atul Kumar
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Test – नेट्स के उस कोने में जहाँ गेंदें कभी पूरी, कभी शॉर्ट लेंथ पर धड़ाधड़ लगीं, वहां तिलक वर्मा का चेहरा अलग चमक लिए था—एक ऐसा खिलाड़ी, जिसे भारत ने अभी पूरी तरह देखा भी नहीं है, लेकिन जिसकी महत्वाकांक्षा पहले ही “लंबे प्रारूप” की दीवारें खटखटाने लगी है।


तेइस साल की उम्र, चार ही वनडे, टेस्ट कैप अभी हाथ में नहीं… फिर भी तिलक की आँखों में जो चमक है, वह T20 करियर की नहीं बल्कि सफ़ेद जर्सी की कहानी कह रही है।

उन्होंने खुलकर बताया—उन्हें वनडे और टेस्ट क्रिकेट ज्यादा पसंद है, और इसके लिए वह विराट कोहली से फिटनेस, रनिंग और माइंडसेट की टिप्स ले रहे हैं।
खास बात यह कि मौजूदा वनडे सीरीज में महान बल्लेबाज रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ एक ही XI में होना उनके आत्मविश्वास को बिल्कुल नए स्तर पर ले गया है।

तिलक वर्मा—एक युवा खिलाड़ी जिसकी सोच T20 से बड़ी है

आज के दौर में अधिकांश भारतीय युवा खिलाड़ी IPL की रफ्तार से चलना चाहते हैं, लेकिन तिलक इस भीड़ से बिल्कुल अलग दिशा में दौड़ रहे हैं।
उनका कहना है:

“वनडे और टेस्ट क्रिकेट मेरे खेल के मुताबिक है। मैं इसका अधिक लुत्फ उठाता हूं।”

यह बयान छोटी उम्र के खिलाड़ी से कम, एक लंबे-कैरियर प्लान बनाने वाले बल्लेबाज से ज्यादा लगता है।
क्योंकि सफेद गेंद की क्रिकेट में तकनीक की मांग स्थिर होती है, लेकिन लाल गेंद की दुनिया—वह तो तपस्या जैसी है।

कोहली–रोहित की मौजूदगी = आत्मविश्वास का अलग स्तर

तिलक का यह कहना कि—

“जब रोहित भाई और विराट भाई एक ही टीम में होते हैं, आत्मविश्वास का स्तर बिल्कुल अलग होता है।”

—यह भारतीय क्रिकेट में mentorship संस्कृति की एक शानदार मिसाल है।
रोहित का शांत लेकिन तेज़ क्रिकेट मस्तिष्क
और कोहली की तीखी फिटनेस मानसिकता
दोनों का मिला-जुला असर, तिलक जैसे खिलाड़ी को अगले स्तर पर ले जा सकता है।

कोहली से फिटनेस और रनिंग के टिप्स—तिलक का ‘सीक्रेट प्रोजेक्ट’

विकटों के बीच दौड़ना—यह कौशल भारतीय क्रिकेट में अक्सर underrated रहा है, लेकिन कोहली ने इसे एक कला में बदला है।
तिलक ने इस पर विशेष काम शुरू किया है।

उन्होंने बताया:

“मैं विराट भाई से फिटनेस और विकेटों के बीच दौड़ के बारे में सलाह लेता हूं। मुझे दौड़ना पसंद है और मैं इस मामले में काफी तेज हूं।”

कोहली से यह सीखना अपने आप में बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट है—
क्योंकि 50-ओवर और टेस्ट क्रिकेट में रनिंग-बिटवीन-द-विकेट्स ही मैच की धड़कन होती है।

क्यों यह सलाह महत्वपूर्ण है?

कौशलमहत्व
फिटनेसलंबे फॉर्मेट में मानसिक और शारीरिक स्टैमिना का आधार
रनिंग-बिटवीन-द-विकेट्सडॉट बॉल्स को रन में बदलने की क्षमता
माइंडसेटबल्लेबाजी की लंबी योजना बनाना

तिलक यह समझ रहे हैं कि बल्लेबाज सिर्फ शॉट्स से नहीं, अपनी रनिंग और फिटनेस से भी मैच जीतते हैं।

एक वनडे सीरीज, लेकिन तिलक के लिए यह audition जैसा है

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा वनडे श्रृंखला तिलक के लिए छोटे टूर जैसा दिख रहा है, पर वास्तव में यह एक audition है—WTC स्क्वॉड और ODI टीम में स्थिर जगह पाने का।

उन्होंने साफ कहा:

“मुझे जब भी मौका मिलेगा, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा। मैं वनडे और टेस्ट दोनों में खुद को साबित करना चाहता हूं।”

यह hunger, यह clarity—यही चीज़ें चयनकर्ताओं को प्रभावित करती हैं।

भारत को भी ऐसे खिलाड़ी की जरूरत क्यों है?

  • बाएं हाथ का टॉप/मिडिल-ऑर्डर बल्लेबाज
  • अच्छी तकनीक
  • पारी लंबी खेलने की क्षमता
  • स्ट्राइक रोटेशन मजबूत
  • temperament स्थिर

भारत की टेस्ट टीम अभी ट्रांजिशन से गुजर रही है।
पुजारा–रहाणे युग खत्म हो चुका है, और नए चेहरे तलाशने का समय चल रहा है।
तिलक इस खांचे में फिट बैठते दिखते हैं।

रोहित–कोहली की mentorship का असली असर क्या हो सकता है?

तिलक के शब्दों के पीछे गहरी बात छुपी है—
वह सिर्फ टिप्स नहीं ले रहे, बल्कि सिस्टम सीख रहे हैं।

एक टेस्ट बल्लेबाज तभी बनता है जब वह:

  • अपनी पारी को फ्लोर प्लान की तरह बनाता है
  • फिटनेस को कौशल जितना महत्वपूर्ण मानता है
  • विकेटों के बीच दौड़ को “रन बचाने” की नहीं, “रन बनाने” की तकनीक समझता है

कोहली का पूरा करियर इसी आधार पर खड़ा है।
अगर तिलक इस ब्लूप्रिंट को अपनाते हैं, तो आने वाले सालों में भारत उन्हें नंबर-4 या नंबर-5 के रूप में टेस्ट में देख सकता है।

मौजूदा SA सीरीज—तिलक की सोच और भी प्रेरक है

दक्षिण अफ्रीका तेज़ गेंदबाज़ी का स्कूल है—
और इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज पर चयनकर्ताओं की नज़र हमेशा रहती है।

तिलक बड़े मंच पर खेलने से नहीं, बल्कि लंबे प्रारूप की चुनौतियों से प्रेरित दिखते हैं।

यह दुर्लभ है।
यह संकेत है कि भारत को भविष्य का all-format खिलाड़ी मिल सकता है—जिसे टेस्ट खेलने में उतना ही मज़ा आता है जितना वनडे में।

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