Bronco Test : ट्रेनर बदलते हैं तो टेस्ट भी बदलते हैं – ब्रॉन्को टेस्ट पर अश्विन का बड़ा बयान

Atul Kumar
Published On:
Bronco Test

Bronco Test – भारतीय क्रिकेट टीम में फिटनेस टेस्ट हमेशा से ही चर्चा का बड़ा मुद्दा रहा है। कभी यो-यो टेस्ट ने सुर्खियां बटोरीं, फिर 2 किलोमीटर का रन टेस्ट आया, और अब खबर है कि “ब्रॉन्को टेस्ट” भी अनिवार्य कर दिया गया है। ये फिटनेस ड्रिल मूल रूप से रग्बी से ली गई है और खिलाड़ियों की स्टैमिना, रेसिस्टेंस और रिकवरी क्षमता को परखने के लिए इस्तेमाल होती है। लेकिन इस नए बदलाव पर सबकी राय एक जैसी नहीं है—खासकर पूर्व क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने इसे लेकर चिंता जताई है।

आखिर क्या है ब्रॉन्को टेस्ट?

ब्रॉन्को टेस्ट को अगर आसान भाषा में समझें तो ये शटल रन है, जहां खिलाड़ी को 20, 40 और 60 मीटर की दूरी पर लगातार दौड़ना होता है। कुल पाँच सेट होते हैं यानी खिलाड़ी को कुल 1200 मीटर दौड़ना पड़ता है। इसे छह मिनट से कम समय में पूरा करना “स्टैंडर्ड” माना जाता है।

यह टेस्ट इस बात को परखने के लिए बनाया गया है कि खिलाड़ी की फिटनेस लंबे मैचों में कैसा रिस्पॉन्ड करती है। यानी सिर्फ स्पीड ही नहीं बल्कि repeated efforts with recovery भी इसमें टेस्ट होते हैं।

क्यों आया यह नया नियम?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टीम के नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने यह सुझाव दिया था। हेड कोच गौतम गंभीर भी इसके पक्ष में हैं और इसी वजह से चयनकर्ताओं ने इसे “फिटनेस प्रोटोकॉल” का हिस्सा बना दिया है। कहा जा रहा है कि टी20 एशिया कप 2025 की तैयारी के दौरान कुछ खिलाड़ियों से यह टेस्ट लिया भी जा चुका है।

अश्विन क्यों हुए नाराज़?

अपने यूट्यूब चैनल पर अश्विन ने साफ कहा कि लगातार फिटनेस टेस्ट बदलना खिलाड़ियों के लिए मुश्किल पैदा करता है।

  • हर नए ट्रेनर के आने पर टेस्ट सिस्टम बदलने से खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पैटर्न में अस्थिरता आ जाती है।
  • अलग-अलग फिटनेस टेस्ट्स से चोट का खतरा भी बढ़ सकता है।
  • उन्हें खुद 2017 से 2019 के बीच इस समस्या का सामना करना पड़ा था।

अश्विन का मानना है कि नए और पुराने ट्रेनर्स के बीच कम से कम 6-12 महीने का ट्रांजिशन होना चाहिए ताकि खिलाड़ी आसानी से एडजस्ट कर सकें।

क्या यो-यो टेस्ट खत्म हो गया है?

नहीं, यो-यो टेस्ट अब भी भारतीय क्रिकेट का फिटनेस मानक है। 2 किमी रन भी कायम है। ब्रॉन्को टेस्ट को एक “अतिरिक्त पैरामीटर” के रूप में लाया गया है। यानी खिलाड़ियों को अब तीन अलग-अलग टेस्ट्स पास करने पड़ सकते हैं।

भारतीय टीम के प्रमुख फिटनेस टेस्ट

टेस्टपैटर्नमानक समय/स्कोर
यो-यो टेस्टशटल रन (20 मीटर, बढ़ती स्पीड)न्यूनतम स्कोर 16.5
2 किमी रनसीधा रनिंग टेस्ट8.30 मिनट (फास्ट बॉलर्स के लिए थोड़ा ढील)
ब्रॉन्को टेस्ट20, 40, 60 मीटर शटल रन, 1200 मीटर कुल6 मिनट के भीतर

खिलाड़ियों पर असर

किसी खिलाड़ी के लिए लगातार बदलते फिटनेस बेंचमार्क मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से चुनौतीपूर्ण हैं। अश्विन जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों की चिंता जायज़ लगती है—क्योंकि भारत जैसे देश में जहां शेड्यूल पहले से ही भारी है, वहां नए टेस्ट्स से चोट का रिस्क और बढ़ सकता है।

टॉस के बाद फाइनल टीम चाहिए तो, अभी जॉइन करे Cricketyatri का Telegram चैनल- Join Now




Follow Us On