BCCI Sponsorship – भारत में क्रिकेट और कॉरपोरेट्स का रिश्ता हमेशा दिलचस्प रहा है। बीसीसीआई के लिए टीम इंडिया सिर्फ एक स्पोर्ट्स टीम नहीं, बल्कि चलती-फिरती ब्रांड वैल्यू है। मगर ड्रीम11 का करार बीच में टूट जाना एक बड़ा झटका साबित हुआ है। वजह भी साफ है—सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर जिस तरह का नया कानून लागू किया है, उसने इस सेक्टर की जमीन हिला दी है।
ड्रीम11 की विदाई और नया कानून
ड्रीम11 ने 2020 में बीसीसीआई के साथ तीन साल का करार किया था। डील की कुल वैल्यू थी 358 करोड़ रुपये। लेकिन नए ऑनलाइन गेमिंग कानून के बाद कंपनी ने तय समय से लगभग एक साल पहले ही हाथ खींच लिए। नियम ये कहता है कि कोई भी ऑनलाइन गेम जिसमें यूजर्स से पैसे लिए जाते हैं, वह अब गैरकानूनी है।
सरकार का तर्क है कि लाखों यूजर्स इस तरह के फैंटेसी गेम्स में अपनी जमा-पूंजी गंवा रहे थे। लोगों का कहना—“जीतने के चक्कर में पैसे डुबो दिए।” यही वजह रही कि अब ऐसे प्लेटफॉर्म्स की कमर टूट गई। और इसका असर सीधे क्रिकेट स्पॉन्सरशिप पर भी पड़ा।
बीसीसीआई की नई रणनीति
अब सवाल उठता है—ड्रीम11 के जाने के बाद कौन? बोर्ड फिलहाल एशिया कप (9 सितंबर से शुरू) से पहले किसी तरह का त्वरित करार नहीं कर पाएगा। टाइम बेहद कम है। इसलिए फिलहाल जर्सी खाली रह सकती है या कोई अस्थायी स्पॉन्सर सामने आए।
असल खेल 2025 से 2028 के बीच दिखेगा। सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई इस चार साल की अवधि के लिए एक नई डील पर काम कर रहा है। टारगेट वैल्यू करीब 450 करोड़ रुपये है—ड्रीम11 से कहीं ज्यादा।
अवधि | संभावित वैल्यू | मैच कवर | प्रति मैच टारगेट (घरेलू) | प्रति मैच टारगेट (ICC/ACC) |
---|---|---|---|---|
2025–2028 | 450 करोड़ रु. | ~140 मैच | 3.5 करोड़ रु. | 1.5 करोड़ रु. |
पुराने स्पॉन्सर्स से तुलना
अगर तुलना करें तो ड्रीम11 ने 358 करोड़ रुपये दिए थे। उससे पहले Byju’s ने इससे भी ज्यादा का भुगतान किया था। फर्क साफ है—बीसीसीआई को लगता है कि टीम इंडिया की ब्रांड वैल्यू बढ़ी है, और कंपनियां इस मौके पर मोटी रकम लगाने को तैयार होंगी।
याद रहे, इस स्पॉन्सरशिप में सिर्फ भारत में खेले जाने वाले मैच ही नहीं, बल्कि विदेशों में खेले गए द्विपक्षीय सीरीज और मल्टीनेशन टूर्नामेंट्स भी शामिल होंगे।
बड़ा सवाल—कौन बनेगा अगला स्पॉन्सर?
ड्रीम11 जैसे फैंटेसी प्लेटफॉर्म तो अब लगभग बाहर हो चुके हैं। ई-कॉमर्स, एड-टेक, फिनटेक या कंज्यूमर गुड्स कंपनियां ही बड़े दावेदार हो सकती हैं। Byju’s का हालिया वित्तीय संकट देखते हुए उनका वापसी करना मुश्किल है। ऐसे में Jio, Paytm, Amazon, या कोई ग्लोबल ब्रांड मैदान में उतर सकता है।
क्रिकेट और ब्रांडिंग का खेल
भारत में क्रिकेट विज्ञापन के लिहाज से सोने की खान है। एक टी-शर्ट पर लिखा नाम करोड़ों टीवी स्क्रीन और मोबाइल्स पर चमकता है। यही वजह है कि कंपनियां इस मौके को हाथ से जाने नहीं देतीं। लेकिन इस बार खेल थोड़ा मुश्किल है—सरकार की सख्ती के बाद पूरे ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर की दावेदारी खत्म हो चुकी है।
अब देखना होगा कि बीसीसीआई 450 करोड़ के अपने टारगेट को पूरा करने के लिए किस कंपनी पर दांव लगाता है।