Cheteshwar Pujara – चेतेश्वर पुजारा के करियर का अंत एक शांत लेकिन गहरी छाप छोड़ने वाले अंदाज़ में हुआ। रविवार को उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी। एक ऐसा खिलाड़ी, जिसकी बल्लेबाजी का स्टाइल शायद कभी “ग्लैमरस” नहीं कहा गया, लेकिन जो भी भारतीय टेस्ट क्रिकेट की आत्मा को समझता है, जानता है कि पुजारा टीम इंडिया की रीढ़ रहे हैं।
पुजारा का शानदार सफर
2010 में टेस्ट डेब्यू करने वाले पुजारा ने 13 साल के करियर में 103 टेस्ट मैच खेले और 43.60 की औसत से 7195 रन बनाए।
उनके नाम 19 शतक और 35 अर्धशतक दर्ज हैं।
भारत के लिए वह ऑल-टाइम रन स्कोरर्स लिस्ट में आठवें नंबर पर हैं।
सिर्फ इंटरनेशनल ही नहीं, पुजारा का घरेलू करियर भी किसी किंवदंती से कम नहीं — उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 21,301 रन बनाए।
करियर | मैच | रन | औसत | शतक | अर्धशतक |
---|---|---|---|---|---|
टेस्ट | 103 | 7195 | 43.60 | 19 | 35 |
फर्स्ट-क्लास | 260+ | 21301 | 51+ | 60+ | 80+ |
‘दीवार’ की भूमिका
राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद भारतीय टीम को कोई चाहिए था जो विदेशी धरती पर भी क्रीज पर टिके, गेंदबाजों को थकाए और टीम को सहारा दे। पुजारा ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
2018 और 2021 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज जीतों में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनकी पारी अक्सर धीमी कही जाती थी, लेकिन सच तो यह है कि उन्हीं पारियों ने भारत को कई बार मैच बचाकर दिए।
संन्यास का फैसला
पुजारा ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय एक सप्ताह पहले ही तय कर लिया था, और परिवार व कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों से बात करने के बाद ही यह कदम उठाया।
उनका मानना है कि अब युवा खिलाड़ियों को मौका देने का सही समय है।
करियर के बाद का रास्ता
इंटरनेशनल क्रिकेट से बाहर रहने के बाद पुजारा ने कमेंट्री का रास्ता चुना। हाल ही में वह भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज की ब्रॉडकास्ट टीम का हिस्सा थे।
संन्यास के बाद भी उनके क्रिकेट ज्ञान और अनुभव का फायदा भारतीय क्रिकेट को कमेंट्री, कोचिंग या किसी और भूमिका में मिलता रहेगा।