कई सालों बाद सचिन तेंदुलकर ने किया बड़ा खुलासा, क्यों धोनी के लिए की सिफारिश…

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Big disclosure, why recommended for Dhoni

बड़ा खुलासा, क्यों धोनी के लिए की सिफारिश- सचिन तेंदुलकर का भारतीय क्रिकेट टीम की पूरी दुनिया में ख्याति दिलाने में बहुत बड़ा योगदान है।  सचिन तेंदुलकर का आज भी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन और शतक जड़ने का रिकॉर्ड है।

उन्होंने 24 साल तक न केवल क्रिकेट के मैदान में बल्ले का योगदान दिया है बल्कि काफी सारे लोगो को प्रणीत करने का भी काम किया है। 

वह सचिन तेंदुलकर ही थे जिन्होंने महेंद्र सिंह धोनी का नाम टीम के कप्तान के रूप में मैनेजमेंट को सुझाया था। हालाँकि सचिन और धोनी दोनों ही क्रिकेट को अलविदा बोल चुके है लेकिन आज भी फैंस के बीच में इनका नाम दिल में बसा हुआ है। 

इस बीच सचिन तेंदुलकर ने महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी दिए जाने पीछे की बड़ी जानकारी का खुलासा भी किया है। सचिन ने बताया की धोनी बहुत ही स्मार्ट थे और यही वजह रही है की उन्होंने कप्तानी के लिए विकेटकीपर-बल्लेबाज के नाम की सिफारिश की है। 

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सचिन ने एक इवेंट के दौरान कहा की जब मुझे कप्तानी की पेशकश की गयी तब मै इंग्लैंड में था। हमारे पास टीम में एक अच्छा लीडर है, जो अभी भी जूनियर था और वह एक ऐसा व्यक्ति है जिसे आपको करीब से देखना चाहिए। 

मैंने उनके साथ काफी सारी बातचीत की है, खासकर मैदान पर जहां मैं पहली फ्लिप में फील्डिंग करता हूँ और उससे पूछता हूँ, आप क्या सोचते है ? हालाँकि राहुल कप्तान थे, मैं उनसे पूछूंगा और मुझे जो फीडबैक मिला है वह बहुत संतुलित और शांत है। 

2008 में जब धोनी को टेस्ट कप्तान के रूप में नियुक्त किया गया तब भारतीय टीम में तेंदुलकर, द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, सहवाग, हरभजन सिंह, और जहीर खान जैसे सीनियर खिलाड़ी मौजूद थे। 

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तेंदुलकर ने आगे कहा की अच्छी कप्तानी विपक्षी टीम से एक कदम आगे रहते सोचने के बारे में है।  यदि कोई ऐसा करने के लिए पर्याप्त स्मार्ट है, जैसा के हम कहते है, जोश से नहीं, होश से खेलो। 

यह तुरंत नहीं होता है, आपको 10 गेंदों में 10 विकेट नहीं मिलेंगे। आपको इसकी योजना बनानी होगी।  दिन के अंत में स्कोरबोर्ड मायने रखता है और मैंने धोनी में ये गुण देखे है। 

गौरतलब है की महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ही साल 2011 में टीम इंडिया ने दूसरी बार 50 ओवर का वर्ल्डकप अपने नाम किया था।  यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी वर्ल्डकप था जिसमें वे वर्ल्ड चैंपियन बनने का कारनामा करने में सफल रहे। 

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