Dhruv Jurel Story: मां ने सोने की चेन बेच क्रिकेट किट दिलाई, करगिल विजेता पिता का सपना तोड़ क्रिकेटर बने ध्रुव

सार

पंजाब किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के मैच में ध्रुव जुरेल ने 15 गेंद में नाबाद 32 रन बनाए। उन्होंने पंजाब की मुट्ठी से मैच लगभग छीन लिया था, लेकिन आखिरी ओवर में सैम करन ने 16 रन बचा लिए और पंजाब की टीम पांच रन से मैच जीत गई। 

Dhruv Jurel Story- IPL 2032 में इंपैक्ट प्लेयर का नियम काफी बदलाव ला रहा है। कुछ युवा भारतीय खिलाड़ी मैच की दूसरी पारी में प्लेइंग-11 का हिस्सा बनते हैं और मैच पलट देते हैं। हालांकि, कई युवा खिलाड़ी दबाव झेलने में नाकाम रहे हैं और अधिकतर टीमों के इंपैक्ट प्लेयर कुछ खास नहीं कर पाए हैं।

आईपीएल में अब तक हुए मुकाबलों की बात करें तो बतौर इंपैक्ट प्लेयर सबसे ज्यादा प्रभाव ध्रुव जुरेल ने छोड़ा है। उनसे पहले तुषार देशपांडे चेन्नई को मैच जिता चुके हैं और जुरेल अपनी टीम को मैच नहीं जिता पाए, लेकिन जुरेल ने मैच में जो प्रभाव छोड़ा है, वह अब तक कोई खिलाड़ी नहीं कर पाया। 

पंजाब के खिलाफ 198 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए राजस्थान की टीम ने 15 ओवर में 124 रन बनाए थे और छह विकेट खो दिए थे। इस टीम को जीत के लिए 30 गेंद में 74 रन की जरूरत थी। ऐसे में धुव जुरेल आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए और हेटमेयर के साथ मिलकर आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की।

इन दोनों ने मिलकर चार ओवर में 58 रन जोड़ दिए। अब आखिरी ओवर में राजस्थान को जीत के लिए 16 रन चाहिए थे और सैम करन ने सिर्फ 10 रन दिए। राजस्थान की टीम पांच रन से मैच हार गई। ध्रुव जुरेल 15 गेंद में दो छक्के और तीन चौकों की मदद से 32 रन बनाकर नाबाद रहे। वह अपनी टीम को मैच नहीं जिता पाए, लेकिन विपक्षी टीम की सांसें रोक दी थी। पंजाब के कप्तान शिखर धवन ने भी मैच के बाद यह बात कही। 

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करगिल विजेता पिता का सपना तोड़ क्रिकेटर बने ध्रुव

ध्रुव जुरेल आईपीएल में पहली बार इस मैच में नजर आए और अपना प्रभाव छोड़ा, लेकिन 22 साल के इस खिलाड़ी ने छोटी सी उम्र में कई बड़े कारनामे किए हैं। वह आगरा के रहने वाले हैं और उनके पिता सेना में थे, जिन्होंने करगिल युद्ध में भाग लिया था।

2001 में जुरेल का जन्म हुआ और वह 10 साल के भी नहीं थे, जब उनके पिता बतौर हवलदार सेना ने रिटायर हो गए। इस समय जुरेल आगरा के आर्मी स्कूल में पढ़ते थे। उनके पिता चाहते थे कि बेटा सेना में अफसर बने और उनकी तरह देश की सेवा करे। 

इसी वजह से ध्रुव के पिता नेम सिंह जुरेल ने बेटे को खेल से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने को कहा। स्कूल में दो महीने के लिए खेल का कैंप शुरू हुआ तो ध्रुव तैराकी में भाग लेने के लिए अपने दो दोस्तों के साथ पहुंचे। यहां सभी खेल हो रहे थे और एक लड़का क्रिकेट खेलते हुए बेहतरीन शॉट लगा रहा था। ध्रुव को यह बहुत पसंद आया और उन्होंने तैराकी छोड़ क्रिकेट में अपना नाम लिखा लिया। 

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मां ने सोने की चेन बेच क्रिकेट किट दिलाई

करियर की शुरुआत में ध्रुव ऑफ स्पिन गेंदबाजी करते थे, लेकिन उनकी गेंदबाजी कुछ खास नहीं थी। ऐसे में उन्होंने विकेटकीपिंग में हाथ आजमाया और इस रोल में उन्होंने सभी को प्रभावित किया। इसके साथ ही वह मध्यक्रम बल्लेबाज होने के साथ ही विकेटकीपर भी बन गए।

ध्रुव 12 साल के हुए तो उन्होंने घर में क्रिकेट किट की मांग की। आर्मी से रिटायर पिता के लिए बिना कुछ सोचे-समझे क्रिकेट किट खरीदना आम नहीं था। साथ ही वह चाहते थे कि बेटा सेना में अफसर बने। इस वजह से वह किट नहीं खरीद रहे थे। ऐसे में ध्रुव ने कहा कि अगर उन्हें क्रिकेट किट नहीं मिली तो वह घर छोड़ देंगे। ऐसे में उनकी मां ने सोने की चेन बेचकर बेटे को किट दिलाई। 

क्रिकेट में ध्रुव की रुचि और प्रतिभा देखकर पिता भी उनका समर्थन करने लगे। इसके बाद ध्रुव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2020 में देश की अंडर-19 टीम में चुने गए और उपकप्तान भी बनाए गए। उनकी टीम विश्व कप के फाइनल में बांग्लादेश से हार गई, लेकिन ध्रुव ने अपनी कप्तानी में अंडर-19 एशिया कप जीता। 

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वह महेंद्र सिंह धोनी की तरह कप्तानी करना चाहते हैं। विकेट के पीछे धैर्य और चतुराई के साथ विपक्षी बल्लेबाजों को फंसाते हुए उन्होंने अंडर-19 एशिया कप में बहुत ही छोटे लक्ष्य का बचाव करते हुए पांच रन से जीत हासिल की थी।

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वहीं, बल्लेबाजी में वह एबी डिविलियर्स को अपना आदर्श मानते हैं। फिटनेस के मामले में जुरेल विराट कोहली के कायल हैं। अब आईपीएल में उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई है। आने वाले मुकाबलों में उन्हें ज्यादा मौके मिल सकते हैं और ऐसे में वह बड़ी पारी खेलकर टीम इंडिया के लिए भी दावेदारी पेश कर सकते हैं। 22 साल के ध्रुव के पास अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए अभी समय भी है। 

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मेरा नाम ज्योति विश्वकर्मा है, मेरा जन्मस्थल रोहिणी, दिल्ली है,जहां मैं अपने परिवार संग वास करती हूं। मेने, कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पुर्ण की है। मुझे जीवन के मनोहर पलों को कैमरा मे कैद करना अच्छा लगता है वहीं लिखती मे मजबूरी से नहीं शोक से हूं इसी के साथ जिंदगी के पल मुझे मेरे परिवार के साथ जीना पसंद है समय मिलने पर मां के साथ वक्त बिताना व नई जगहों पर घूमना मेरी प्रिय पसंद है इतिहासिक इमारतें को देखकर मेरे मन में कई कहानियां जन्म के लेती हैं मुझे जिंदगी में सकारात्मक रहना अच्छा लगता है, मेरी जिन्दगी कम पर अच्छे लोगों से परिपूर्ण है लोगो के चेहरे की मुस्कान लाना उनको खुश रखना यही मेरी जिंदगी का सुख है आने वाले समय में, मैं अपनी जिंदगी की कमियों को दूर करने का पूर्ण प्रयास करूंगी