IND vs PAK 2025 – कोई भी क्रिकेट फैन ये मानने से इनकार नहीं करेगा कि भारत-पाकिस्तान मैच एक इमोशन है, बस एक मुकाबला नहीं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। रोमांच से ज़्यादा, माहौल में ग़ुस्सा है। ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, और BCCI पर सवालों की बौछार हो रही है। वजह? वही पुराना लेकिन संवेदनशील मुद्दा—भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए या नहीं?
तो चलिए थोड़ा पैक खोलते हैं इस मुद्दे का, बिना लाग-लपेट के।
आतंकवाद बनाम क्रिकेट: क्या वाकई अलग हैं?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। जांच में एक बार फिर पाकिस्तान की भूमिका के संकेत मिले। और इसी के कुछ हफ्तों बाद, एशिया कप 2025 का शेड्यूल आ गया। भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में। मैच तय: 14 सितंबर। लो जी, जैसे आग में घी डाल दिया गया हो।
अब भले ही क्रिकेट को राजनीति से अलग मानने की बात की जाए, पर जब सैनिक शहीद होते हैं, और जनता के ज़हन में ताज़ा ज़ख्म होते हैं—तो फिर ‘एक गेम’ को भी लोग हल्के में नहीं लेते।
फैंस की भावनाएं भी वाजिब हैं। सोशल मीडिया की दीवारें नाराज़गी से रंगी पड़ी हैं:
- “द्विपक्षीय सीरीज बंद है तो मल्टीटीम में भी क्यों खेलें?”
- “कभी तो BCCI देश की भावना को प्राथमिकता दे!”
- “क्या हम फिर से वही भूल दोहराने जा रहे हैं?”
क्या BCCI के हाथ बंधे थे?
ये सवाल भी उठ रहा है—क्या बीसीसीआई के पास कोई ऑप्शन था? क्या वो टूर्नामेंट से हट सकते थे?
तकनीकी तौर पर, हाँ। लेकिन इसका मतलब होता एशियन क्रिकेट काउंसिल से टकराव, टीवी ब्रॉडकास्टिंग कॉन्ट्रैक्ट्स का नुक़सान, और शायद आईसीसी की ओर से फाइन।
पर क्या ये सब देश की सुरक्षा या सम्मान से ऊपर हैं? ये तो बड़ा नैतिक सवाल है, और यहाँ पर दो हिस्सों में बंट जाता है पब्लिक ओपिनियन।
कुछ लोग कहते हैं:
“देश पहले, क्रिकेट बाद में।”
जबकि दूसरों का मानना है:
“मैदान पर हराने से बड़ा कोई जवाब नहीं।”
टूर्नामेंट का पूरा फ़ॉर्मेट क्या कहता है?
चलो, क्रिकेट की बात करते हैं—थोड़ा तथ्य, थोड़ा फॉर्मेट।
ग्रुप A | ग्रुप B |
---|---|
भारत | श्रीलंका |
पाकिस्तान | बांग्लादेश |
ओमान | अफगानिस्तान |
यूएई | हांगकांग |
- शुरुआत: 9 सितंबर से
- भारत vs पाकिस्तान: 14 सितंबर
- सुपर 4: टॉप 2-2 टीमें ग्रुप से
- फाइनल: सुपर 4 की टॉप 2 टीमें
तो अगर भारत और पाकिस्तान दोनों क्वालीफाई करते हैं (जो काफ़ी संभव है), तो कम से कम 2 और अधिकतम 3 भिड़ंतें देखने को मिलेंगी।
अब सोचिए—हर मैच में देश की भावनाएं दांव पर। और यही डर फैंस को सता रहा है।
BCCI का अब तक का रवैया
बीसीसीआई ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया इस पूरे विवाद पर। शायद वो ‘नो-कमेंट्स’ की पॉलिसी पर चल रहे हैं। लेकिन चुप्पी भी कभी-कभी बहुत कुछ कह जाती है।
कई पुराने खिलाड़ी भी इस पर बँटे हुए हैं। गौतम गंभीर जैसे कुछ दिग्गज साफ़ कह चुके हैं कि भारत को पाकिस्तान के साथ कोई मैच नहीं खेलना चाहिए। वहीं दूसरे मानते हैं कि खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
तो अब क्या होगा?
बॉयकॉट की माँग ज़ोरों पर है, लेकिन BCCI पीछे हटने के मूड में नहीं लग रहा। एशिया कप यूएई में हो रहा है, यानी न्यूट्रल वेन्यू। शायद यही तर्क दिया जाएगा।
पर बात सिर्फ़ मैदान की नहीं है। बात है कि क्या हम बार-बार सिर्फ़ ‘खेल भावना’ की दुहाई देकर, असल मुद्दों से मुँह मोड़ते रहेंगे?