World Cup 2023 : इंडिया vs ऑस्ट्रेलिया फाइनल रोहित की आंखें विराट का दर्द और टूटे सपनों की कहानी

Atul Kumar
Published On:
World Cup 2023

World Cup 2023 – अहमदाबाद की उस सुबह में एक अजीब-सी चमक थी—वैसी ही, जैसी आज 19 नवंबर की तारीख देखते ही आंखों में तैर आती है। 2023 का वही दिन, वही तारीख, वही उम्मीदें… पूरा देश जश्न के लिए तैयार था।

नरेंद्र मोदी स्टेडियम के बाहर भीड़ टूट पड़ी थी—टिकटें गायब, कतारें अनंत, और हवा में सिर्फ एक नारा—इंडिया… इंडिया…।

सवा लाख से ज़्यादा लोग उस दिन स्टेडियम में भर चुके थे, और पूरे देश को भरोसा था कि तीसरी बार वर्ल्ड कप का ताज भारत के सिर पर ही सजेगा। 10 मैच लगातार जीतकर फाइनल में पहुंची टीम… ऐसा आत्मविश्वास शायद पहले कभी भारतीय टीम में नहीं देखा गया।

ऊपर से इंडियन एयरफोर्स की सलामी—माहौल किसी उत्सव से कम नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे क्रिकेट भगवान ने खुद कह दिया हो—यह दिन भारत के नाम है।

किस्मत का मोड़—जहाँ कहानी पलटी

और फिर भी, कुछ कहानियाँ उसी मोड़ पर मुड़ जाती हैं जहां उन्हें मोड़ना नहीं चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया ने वही किया जो इतिहास में कई बार किया है—दबाव झेला, मौका पकड़ा और भारत की उम्मीदों को चूर कर दिया।

भारत की टीम में कमी नहीं थी, लड़ाई में कमी नहीं थी, जुनून की तो बिल्कुल नहीं… लेकिन उस दिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। जैसे शाम होते-होते आसमान में कोई ग्रहण उतर आया हो। 140 करोड़ लोगों की धड़कन एक साथ टूटती हुई महसूस हुई।

फाइनल की वह हार सिर्फ एक मैच नहीं था—वह एक सामूहिक खामोशी थी। लाखों चेहरों पर मायूसी, और उन आँखों में आँसू जिन्हें दुनिया ने कभी रोते नहीं देखा था।

आँखें जिन्हें देश भूल नहीं पाता

आज भी जब यह तारीख आती है, यादों की बारिश अपने-आप शुरू हो जाती है।
रोहित शर्मा की भीगी आँखें।
विराट कोहली का टूटा हुआ चेहरा।
केएल राहुल, सिराज, बुमराह… हर किसी के चेहरे पर वही सवाल—क्यूं?

स्टेडियम में बैठे हजारों लोगों की आँखें नम थीं। लाखों घरों में टीवी स्क्रीन के सामने बैठा देश शब्दहीन था। हर क्रिकेट फैन उस रात थोड़ा-सा खाली हो गया था।

19 नवंबर की वह शाम—एक ऐसा लम्हा जिसकी कसक लोग उम्रभर ढोते हैं।

एक दिन जिसने सिखाया—कभी-कभी अंत सुखद नहीं होता

हर कहानी में जीत नहीं होती।
कभी-कभी आप सब कुछ सही करते हैं, और फिर भी मंज़िल हाथ से फिसल जाती है।
19 नवंबर 2023 ने यही सिखाया।

यह सिर्फ हार नहीं थी—यह क्रिकेट की उस कड़वी सच्चाई का पाठ था जिसे कोई पढ़ना नहीं चाहता।
लेकिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह दिन इसलिए हमेशा याद रहेगा क्योंकि उस दिन पूरे देश ने अपनी टीम के साथ रोया था।

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