Mohammad Shami – भारतीय तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी ने एक खुले और भावनात्मक बातचीत में बताया कि व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी की परेशानियों के बीच वे कभी आत्महत्या तक के बारे में सोच चुके थे।
लेकिन क्रिकेट ने जो पहचान और मकसद दिया, उसने उन्हें उस कदम से रोका। शमी फिलहाल राष्ट्रीय टीम से बाहर हैं और तीनों फॉर्मैट में वापसी की कोशिश कर रहे हैं।
शमी ने साझा किया सबसे कच्चा सच
शो के दौरान शमी ने कहा, “सोचा जरूर, पर हुआ नहीं। ये शुक्र है वरना मेरे से विश्व कप मिस हो जाता। क्योंकि जब मेरे दिमाग में वो विचार आया था कि ये समय है जिंदगी खत्म करने का, लेकिन फिर मैंने सोचा, इस खेल ने मुझे इतना नाम दिया… वो सोच, वो प्यार याद आया। सोचा चलो इसको छोड़ो, चलो गेम में लगते हैं फिर।”
आरोपों और मानसिक दबाव की कड़ी सच्चाई
शमी ने माना कि पिछले कई वर्षों में उन पर लगाए जाने वाले आरोपों ने उन्हें गहरा प्रभाव दिया। उनका कहना था कि कुछ आरोपों का कोई वास्तविक आधार ही नहीं होता, और मीडिया में उन पर लगी अफ़वाहों ने भी उन्हें चोट पहुँचाई।
शमी ने कहा, “पिछले 6–7 सालों में मुझ पर जितने आरोप लगे हैं, शायद किसी आतंकवादी पर भी इतने आरोप नहीं लगे होंगे। मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।”
घरेलू मामलों का कानूनी पहलू
जुलाई में कलकत्ता हाईकोर्ट ने शमी को उनकी अलग रहने वाली पत्नी हसीन जहां और बेटी को तय गुज़ारा भत्ता देने का निर्देश दिया—जहां को ₹1.50 लाख और उनकी बेटी को ₹2.50 लाख प्रति माह।
हसीन जहां ने 2014 में शमी से शादी की थी; 2015 में उनकी एक बेटी हुई और बाद में 2018 में इनके अलग होने की खबरें आईं। घरेलू विवादों और उनपर लगे इलज़ामों ने शमी के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला—यह बात उन्होंने भी स्वीकार की।
क्रिकेट ने दी वापसी की वजह
शमी ने स्पष्ट किया कि जब भी वह टूटने लगे, तो क्रिकेट—फैंस का प्यार और खेल ने उन्हें संभाला। उन्होंने कहा कि वही वजह थी जिसने उन्हें आत्महत्या जैसे निर्णय से रोका और मैदान की तरफ वापस खींच लिया।