2011 World Cup : पैडी अपटन का अनुभव कैसे बदल रहा है भारतीय खेल

Atul Kumar
Published On:
2011 World Cup

2011 World Cup – खेल की दुनिया में अगर मानसिक मजबूती की बात आती है, तो पैडी अपटन का नाम सबसे आगे आता है। क्रिकेट, रग्बी और अब हॉकी—उन्होंने हर खेल में साबित किया है कि मानसिक अनुकूलन ही असली ‘गेम चेंजर’ है। भारत की 2011 विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम के सहयोगी स्टाफ का हिस्सा रहे अपटन इस समय एशिया कप 2025 (राजगीर) में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के साथ जुड़े हैं।

क्रिकेट से हॉकी तक – अपटन का सफर

दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले 55 वर्षीय अपटन का करियर लंबे समय तक क्रिकेट के इर्द-गिर्द रहा है।

  • उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी टीम और आईपीएल की राजस्थान रॉयल्स सहित कई फ्रेंचाइज़ी के साथ काम किया।
  • 2011 वर्ल्ड कप जीत के दौरान गैरी कर्स्टन के साथ भारत की बैकस्टाफ टीम में शामिल थे।
  • अब वह भारतीय हॉकी टीम के साथ जुड़े हैं, जिसने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता और एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी व 2022 एशियाई खेलों में खिताब जीते।

टीमवर्क पर अपटन का नजरिया

अपटन मानते हैं कि टीमवर्क हर खेल में ज़रूरी है, लेकिन उसका स्वरूप बदलता रहता है।

“हॉकी में अलग तरह का टीमवर्क है, जिसमें कई खिलाड़ियों को जुड़ना पड़ता है। क्रिकेट में भी टीमवर्क होता है, लेकिन वह ज़्यादा व्यक्तिगत है।”

उनके मुताबिक, असली चुनौती है—

  • ध्यान केंद्रित रखना
  • स्कोरबोर्ड, दर्शक, विरोधी जैसी डिस्टर्बेंस से निपटना
  • गलतियों का पछतावा छोड़ना

ये सिद्धांत हर खेल में समान रहते हैं।

भारतीय हॉकी टीम के साथ काम करने का तरीका

अपटन बताते हैं कि उनका दृष्टिकोण हमेशा सुनने और समझने का होता है।

  • टीम के साथ वर्कशॉप्स
  • खिलाड़ियों से वन-ऑन-वन सेशन
  • ज़रूरत के हिसाब से कोच और कप्तान के साथ रणनीति

अभी टीम का फोकस 2026 विश्व कप, एशियाई खेलों और 2028 ओलंपिक की तैयारी पर है।

भारतीय हॉकी टीम की तारीफ

अपटन ने भारतीय खिलाड़ियों की प्रोफेशनलिज्म की खुलकर तारीफ की:

“टीम अविश्वसनीय रूप से पेशेवर है। उनकी कार्यशैली और कड़े अभ्यास से मैं बेहद प्रभावित हूं। खिलाड़ी बहुत समर्पित हैं और हर मैच से कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं।”

बड़ा मकसद – लंबी तैयारी

उनके मुताबिक, भारतीय टीम अब पुनर्गठन के चरण में है, लेकिन उनके पास मजबूत नेतृत्व है:

  • हेड कोच: क्रेग फुल्टन
  • कप्तान: हरमनप्रीत सिंह

अपटन का मानना है कि फिटनेस, रणनीति और मानसिक मजबूती के संतुलन के साथ यह टीम आने वाले सालों में और बड़े मुकाम हासिल कर सकती है।

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