Rinku Singh – एशिया कप 2025 का फाइनल हमेशा याद रखा जाएगा, लेकिन सिर्फ भारत की जीत की वजह से नहीं—बल्कि रिंकू सिंह की उस एक गेंद की वजह से, जिसने सबकुछ बदल दिया।
पूरे टूर्नामेंट में बेंच पर बैठे रहे रिंकू को आखिरकार मौका मिला और उन्होंने अपनी पहली ही गेंद पर पाकिस्तान के खिलाफ चौका जड़कर भारत को नौंवी बार एशिया कप का चैंपियन बना दिया।
रिंकू सिंह का इंतजार और एक गेंद की जादूगरी
पूरे एशिया कप में हर भारतीय खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में उतारा गया, लेकिन रिंकू सिंह को फाइनल तक इंतजार करना पड़ा। हार्दिक पंड्या के सुपर-4 मुकाबले में चोटिल होने के बाद ही रिंकू को जगह मिली। किस्मत ने उन्हें भले देर से मौका दिया, लेकिन उस एक गेंद ने उन्हें अमर बना दिया।
फाइनल के आखिरी ओवर में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस राउफ सामने थे। चौथी गेंद खेलते ही रिंकू ने मिडऑन के पार चौका ठोका और भारत को खिताबी जीत दिला दी। टूर्नामेंट की वही पहली और आखिरी गेंद उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी याद बन गई।
God’s Plan और रिंकू की कहानी
रिंकू सिंह का फेवरेट कोट है—“God’s Plan”। यही टैटू भी उन्होंने अपने शरीर पर बनवा रखा है। फाइनल के बाद उन्होंने कहा, “और कुछ मायने नहीं रखता। एक गेंद मायने रखती है। वही चाहिए थी जिस पर मैंने चौका लगाया।” सच में, मानो भगवान की योजना ही यही थी कि रिंकू पूरे टूर्नामेंट में न खेलें, लेकिन जब खेलें तो खिताब दिलाने वाली गेंद उन्हीं के बल्ले से निकले।
दिलचस्प बात ये है कि टूर्नामेंट से ठीक पहले 6 सितंबर को दिए एक इंटरव्यू में रिंकू ने कहा था कि वे भारत के लिए विनिंग रन बनाना चाहते हैं। किस्मत का खेल देखिए—ठीक वैसा ही हुआ।
भारतीय टीम की प्रतिक्रिया
भारत के उपकप्तान शुभमन गिल ने मैच के बाद कहा, “अद्भुत है। हम पूरे टूर्नामेंट में अपराजेय रहे। शुरूआती विकेट जल्दी गिरने के बाद आसान नहीं था, लेकिन संजू और तिलक की साझेदारी और दुबे के छक्कों ने खेल बदल दिया।”
गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्केल ने कहा, “पावरप्ले में स्थिति कठिन थी, लेकिन लड़कों ने शानदार वापसी की। दुबे के लिए यह बड़ा मौका था और उसने पूरा इस्तेमाल किया।”
स्पिनर कुलदीप यादव, जिन्होंने फाइनल में 4 विकेट लिए, बोले—“बीच के ओवर अहम थे। पाकिस्तान की अच्छी शुरुआत के बाद हमें पता था कि अगर विकेट निकाल लिए तो हम दबाव बना लेंगे।”
रिंकू का नाम सुनहरे अक्षरों में
रिंकू सिंह के बल्ले से आया चौका केवल रन नहीं था, बल्कि पूरे टूर्नामेंट का सबसे यादगार पल था। भारतीय फैंस के लिए यह जीत का नहीं, बल्कि धैर्य और मौके का सबक भी था—चाहे एक गेंद ही क्यों न मिले, उसे यादगार बनाना ही असली जीत है।