Sarfaraz Khan – सरफराज खान विवाद एक बार फिर भारतीय क्रिकेट में चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बहस छेड़ चुका है। दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ दो मैचों की सीरीज़ के लिए घोषित इंडिया ए टीम में सरफराज का नाम नहीं होना फैंस और पूर्व खिलाड़ियों के लिए किसी झटके से कम नहीं था।
घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन के बावजूद सरफराज को नजरअंदाज किए जाने पर अब सवाल सीधे चयनसमिति और मैनेजमेंट पर उठ रहे हैं।
सरफराज खान को क्यों नहीं मिला मौका?
सरफराज खान ने पिछले दो रणजी सीज़न में औसतन 80+ की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। उनकी फिटनेस और फॉर्म दोनों में सुधार साफ दिखा है। उन्होंने हाल ही में रणजी ट्रॉफी में 74 रनों की शानदार पारी खेली थी। बावजूद इसके उन्हें इंडिया ए के 15 सदस्यीय स्क्वाड में शामिल नहीं किया गया।
सेलेक्टर्स की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे फैंस के बीच अटकलें और बढ़ गई हैं। पर जारी टीम लिस्ट में सरफराज का नाम न होना सोशल मीडिया पर बड़े विवाद का कारण बन गया है।
इरफान पठान का बयान – “नैरेटिव मत बनाइए”
जब सोशल मीडिया पर मामला सांप्रदायिक रंग लेने लगा, तब पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान सामने आए। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा:
“सेलेक्टर्स और कोच (मैनेजमेंट) का हमेशा कोई प्लान होता है। कभी-कभी यह फैन की आंखों को गलत दिख सकता है, लेकिन प्लीज चीजों को तोड़िए-मरोड़िए मत या ऐसा नैरेटिव मत बनाइए जो सच के करीब तक न हो।”
इरफान पठान ने यह भी कहा कि क्रिकेट को धर्म या राजनीति से जोड़ना खतरनाक ट्रेंड है। उन्होंने फैंस से अपील की कि चयन को लेकर सवाल पूछना सही है, लेकिन “भेदभाव” का आरोप लगाना गलत दिशा में ले जाएगा।
सोशल मीडिया पर बढ़ता विवाद
सरफराज के बाहर होने के बाद ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर #JusticeForSarfaraz ट्रेंड कर रहा है। कुछ यूजर्स ने उनके सरनेम को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की, तो कुछ राजनीतिक नेताओं ने भी इसे मुद्दा बना लिया। एक नेता ने यहां तक कह दिया कि “क्या सरफराज को उनके नाम की वजह से बाहर रखा गया है?”
हालांकि यह वही नेता हैं जिन्होंने कुछ महीने पहले रोहित शर्मा को “मोटा कप्तान” और “अप्रभावी लीडर” कहा था — और वही रोहित बाद में भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जिताकर प्लेयर ऑफ द मैच बने।
चयनसमिति और कोच पर दबाव
अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाली चयनसमिति और हेड कोच गौतम गंभीर पर अब दबाव साफ दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक, चयन का आधार “टीम कॉम्बिनेशन और फिटनेस रिपोर्ट” रहा, न कि कोई व्यक्तिगत कारण।
चयनसमिति का मानना है कि सरफराज “फिटनेस ट्रांजिशन” फेज में हैं और अगले घरेलू राउंड्स में उनका प्रदर्शन निर्णायक रहेगा।
क्रिकेट से राजनीति दूर रखनी चाहिए
क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि खिलाड़ियों के चयन को राजनीतिक या धार्मिक चश्मे से देखना खतरनाक है। हर खिलाड़ी अपनी मेहनत से टीम में जगह बनाता है, और सरफराज भी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। वह अब भी सिलेक्शन की रेस में हैं, और अगर उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा, तो दरवाज़े उनके लिए फिर खुलेंगे।















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