Sarfaraz Khan – इंडिया ए टीम के ऐलान के बाद जिस खिलाड़ी का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो है सरफराज खान। शानदार फॉर्म और घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बरसाने के बावजूद सरफराज को टीम से बाहर रखा गया, और अब मामला सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा—राजनीतिक मोड़ भी ले चुका है।
शशि थरूर का सेलेक्टर्स पर निशाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने चयनकर्ताओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बोर्ड को सिर्फ आईपीएल पर ही नहीं, बल्कि डोमेस्टिक क्रिकेट में किए गए प्रदर्शन को भी महत्व देना चाहिए।
थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “यह साफ तौर पर अपमानजनक है। सरफराज खान का प्रथम श्रेणी क्रिकेट में औसत 65 से अधिक है। उन्होंने टेस्ट डेब्यू में फिफ्टी लगाई, एक टेस्ट में 150 रन बनाए, और इंग्लैंड में अभ्यास मैच में 92 रन ठोके। इसके बावजूद वे चयनकर्ताओं के ‘रडार’ से बाहर हैं।”
थरूर ने कहा कि सेलेक्टर्स “संभावना” के नाम पर “सिद्ध खिलाड़ियों” को हटाने में बहुत जल्दी करते हैं। उन्होंने अजिंक्य रहाणे, पृथ्वी शॉ और करुण नायर जैसे खिलाड़ियों का उदाहरण दिया—जो रणजी ट्रॉफी में लगातार रन बना रहे हैं, लेकिन फिर भी नजरअंदाज किए जा रहे हैं।
राजनीतिक रंग में रंगा क्रिकेट
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी सवाल उठाए थे कि क्या सरफराज खान को उनके “सरनेम” की वजह से नजरअंदाज किया गया। उनके इस बयान ने ऑनलाइन बहस को और भड़का दिया। अब मामला केवल खेल का नहीं रहा—यह चयन नीति और पारदर्शिता पर सवाल बन गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह पहला मौका नहीं है जब चयन को लेकर राजनीति गरमाई हो। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) पहले भी कई बार ऐसे विवादों में घिर चुका है।
| खिलाड़ी | प्रथम श्रेणी औसत | हालिया टेस्ट प्रदर्शन | IPL फॉर्म | टिप्पणी |
|---|---|---|---|---|
| सरफराज खान | 65.26 | डेब्यू पर 50, एक टेस्ट में 150 रन | अच्छा | टीम से बाहर |
| पृथ्वी शॉ | 51.3 | हाल में चयन नहीं | औसत | घरेलू में रन बरसे |
| रहाणे | 46.4 | अनुभवी खिलाड़ी | स्थिर | चयन को लेकर असमंजस |
| करुण नायर | 45.9 | सीमित मौके | सीमित | बार-बार अनदेखा |
रणजी क्रिकेट का क्या मतलब अगर उसे गिना ही न जाए?
थरूर का सवाल सीधा और सटीक था—“अगर रणजी में रन बनाने का कोई फायदा नहीं, तो खिलाड़ी डोमेस्टिक क्रिकेट खेलेंगे ही क्यों?”
यह सवाल सिर्फ सरफराज खान तक सीमित नहीं है। कई घरेलू खिलाड़ियों ने वर्षों तक प्रदर्शन के बावजूद राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं पाई।
चयन में पारदर्शिता की मांग पुरानी है, लेकिन हर बार एक नया चेहरा उसी पुराने दर्द को फिर से उभार देता है।
सरफराज का हालिया रिकॉर्ड
सरफराज खान ने 2023-24 सीजन में इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट में टेस्ट डेब्यू किया था। उन्होंने अब तक भारत के लिए छह टेस्ट मैच खेले हैं, और 2024 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे का हिस्सा भी रहे।
हालांकि, उसके बाद से उन्हें टेस्ट टीम में मौका नहीं मिला। रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा—लगातार शतक और अहम पारियां।
चयन नीति पर फिर सवाल
भारतीय चयन प्रक्रिया पर सवाल नया नहीं है। खिलाड़ियों का चयन कई बार फॉर्म से ज़्यादा “फिट” या “संभावना” पर आधारित होता दिखा है। ऐसे में यह बहस एक बार फिर तेज़ हो गई है कि क्या घरेलू क्रिकेट को पर्याप्त सम्मान मिल रहा है?
थरूर और मोहम्मद के बयान इस चर्चा को सिर्फ क्रिकेटिंग गलियारों से निकालकर राजनीतिक मंच पर ले आए हैं।
BCCI की चुप्पी
अब तक BCCI या चयन समिति की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि चयन “भविष्य की योजनाओं” को देखते हुए किया गया है, जहां युवा खिलाड़ियों को मौका देने पर ध्यान है। फिर भी, अनुभवी प्रदर्शनकारियों को बाहर रखना आसान निर्णय नहीं कहा जा सकता।















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