IPL 2026 – दिल्ली की हल्की-सी सर्द हवा में मंगलवार की शाम एक ही सवाल चिपका हुआ था—दिल्ली कैपिटल्स ने आखिर फाफ डुप्लेसी को क्यों छोड़ा?
एक अनुभवी, फिट, रन-प्रोडक्शन मशीन जैसा बल्लेबाज़… और उससे भी बढ़कर, एक ऐसा नाम जिसने IPL में आक्रामकता और स्थिरता दोनों का परफेक्ट मिश्रण दिखाया।
लेकिन दिल्ली कैपिटल्स के हेड कोच हेमांग बदानी ने जब इसका कारण बताया, तो कहानी सिर्फ एक “रिटेंशन न होना” से कहीं आगे निकल गई। ये फैसला टीम के खेलने की नई शैली, युवा रूपांतरण, और बजट-रणनीति का प्रतिबिंब है।
फाफ को क्यों छोड़ा? बदानी ने खोल दी असल वजह
जियोस्टार पर ‘टाटा आईपीएल रिटेंशन’ शो में बदानी ने साफ कहा—
“फाफ डुप्लेसी को छोड़ना आसान नहीं था… लेकिन हमें युवा और अधिक आक्रामक विकल्प चाहिए थे।”
यह लाइन दिल्ली की नए दौर की योजना पर रोशनी डालती है।
टीम पावरप्ले में ज़्यादा जोखिम वाली बल्लेबाज़ी चाहती है, ऐसी जो पहले छह ओवर में विपक्ष पर हमला बोले, न कि स्थिर प्लेटफॉर्म बनाए। फाफ का अनुभव अमूल्य है—लेकिन उनका खेलने का टेम्पो दिल्ली की मौजूदा आक्रामक फिलॉसफी से मेल नहीं खा रहा था।
और यह भी ध्यान देने वाली बात है—फाफ ने आईपीएल 2026 की नीलामी में नाम ही नहीं दिया है। वह अब PSL खेलेंगे, जो यह संकेत देता है कि वह लीग बदलकर नए माहौल और नए फॉर्मेट में मूव करना चाह रहे हैं।
फाफ डुप्लेसी: IPL का भरोसेमंद स्तंभ, फिर भी बाहर क्यों?
फाफ का करियर बताता है कि वह बड़े मैचों, मुश्किल परिस्थितियों और शांत दिमाग के खिलाड़ी हैं—
CSK, RCB और पुणे सुपरजायंट्स के लिए उनका योगदान बेहद उच्च स्तर का रहा है।
फिर भी, टीम का तर्क इसे समझने लायक था:
- उम्र 37+
- बल्लेबाज़ी का टेम्पो स्थिर लेकिन T20 में तेजी से बदलता
- DC की टीम अब युवाओं पर आधारित हाइपर-आक्रामक मॉडल ढूंढ रही है
- और फाफ का प्राइस टैग टीम को लचीलापन नहीं दे रहा था
DC की रणनीति पिछले दो सालों में अक्सर “हाइब्रिड टीम” की वजह से उलझी रही—कुछ युवा, कुछ अनुभवी लेकिन स्पष्ट दिशा नहीं।
अब बदानी, विराट कोहली या गंभीर जैसी ‘ब्रांड ऑफ क्रिकेट’ वाली सोच लागू करना चाहते हैं—आत्मविश्वासी, तेज़ और निडर बैटिंग मॉडल।
मैकगुर्क को भी क्यों छोड़ा? बदानी ने कैलकुलेटर वाली सच्चाई बताई
ऑस्ट्रेलिया के जैक फ्रेसर मैकगुर्क पिछले सीजन में DC के लिए एक सनसनी थे।
स्ट्राइक रेट, छक्कों की रफ्तार, आत्मविश्वास—सब कुछ IPL लेवल का।
फिर भी… रिलीज़?
बदानी कहते हैं—
“हमने उसे सपोर्ट किया, लेकिन उस पर 9 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए जा सकते थे।”
ये एकदम IPL-रियलिटी चेक है।
हर फ्रेंचाइज़ी चाहती है कि ‘उभरते स्टार’ को वो तब साइन करे जब उसका बाजार मूल्य ज्यादा न हो।
9 करोड़ में दिल्ली को:
- एक विदेशी टॉप-ऑर्डर
- एक डेथ ओवर गेंदबाज
- या दो मध्यम मूल्य के कॉन्ट्रैक्ट
—ये सब मिल सकते थे।
इसलिए मैकगुर्क को रिलीज़ करने का फैसला भावनाओं से नहीं, अर्थशास्त्र से आया।
अनिल कुंबले की सलाह—“सलामी जोड़ी अभी भी दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या”
अनिल कुंबले ने रिटेंशन के बाद एक और महत्वपूर्ण बात कही:
“दिल्ली के पास भारतीय कोर अच्छा है… लेकिन ओपनिंग स्लॉट तय करना होगा।”
उन्होंने नीतिश राणा, केएल राहुल, अभिषेक पोरेल, करुण नायर जैसे खिलाड़ियों का ज़िक्र किया—
मतलब दिल्ली के पास टॉप-ऑर्डर टैलेंट की कमी नहीं है, बस सही फिट ढूंढने की ज़रूरत है।
अब यह मानने में कोई हिचक नहीं कि टीम फाफ को इसलिए भी छोड़ पाई क्योंकि:
- भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धता पक्की है
- टॉप-ऑर्डर में कई विकल्प मौजूद हैं
- ऑक्शन में अति-आक्रामक युवा विदेशी सलामी बल्लेबाज़ों की भरमार होगी
और यह सब DC की नई संरचना को मजबूत करता है।
दिल्ली कैपिटल्स—एक टीम जो अब रिबिल्ड नहीं, री-एनर्जी मोड में है
फाफ, मैकगुर्क जैसे नामों को छोड़ना सिर्फ एक रोस्टर बदलाव नहीं।
यह संकेत है कि दिल्ली फैसले लेना अब क्लीन, ठोस और भविष्य आधारित चाहती है।
उनकी नई फिलॉसफी कुछ ऐसी लगती है:
- कम उम्र, उच्च ऊर्जा
- पावरप्ले में अटैक
- विदेशी खिलाड़ियों से “उच्च प्रभाव—कम अस्थिरता”
- रिटेंशन में स्पष्ट पहचान—अतिरिक्त प्रयोग नहीं
IPL के विकसित होते दौर में यही दिशा अधिक टीमों ने अपनाई है।
DC की संभावित सोच—IPL 2026 में क्या दिख सकता है?
- फाफ की जगह विदेशी आक्रामक सलामी बल्लेबाज
- मिडिल ऑर्डर में राहुल–पोरेल–राणा जैसी भारतीय स्थिरता
- एक तेजतर्रार फिनिशर की खोज
- गेंदबाज़ी में भारत—विदेश का मिश्रित पैक
DC अब शायद वह टीम बनने जा रही है जो ‘मध्यम प्रदर्शन’ के चक्र को तोड़ दे।















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