IND vs SA : जाल खुद बिछाया खुद ही फंसे—इंग्लिश खिलाड़ी ने लिया मजा

Atul Kumar
Published On:
IND vs SA

IND vs SA – कोलकाता टेस्ट खत्म होते-होते भारतीय क्रिकेट में एक पुरानी कहावत फिर ताज़ा हो गई—दूसरों के लिए गड्ढा खोदोगे, खुद ही गिर जाओगे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में जो कुछ हुआ, उसने इस लाइन को लगभग सच साबित कर दिया।


मुख्य कोच गौतम गंभीर और टीम मैनेजमेंट ने स्पोर्टिंग विकेट के बजाय एक टर्निंग ट्रैक की मांग की थी—क्यूरेटर ने वही बना दिया। लेकिन जैसे ही गेंद ने दूसरी सेशन से घूमना शुरू किया, टीम इंडिया उसी जाल में फंस गई जिसे उसने खुद बिछाया था।

परिणाम? भारत में पहली बार कोई टेस्ट मैच ऐसा हुआ, जिसमें चारों पारियों में एक भी टीम 200 रन नहीं बना सकी। मैच तीसरे दिन ही खत्म हो गया और टीम इंडिया को घर में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। पिच की चारों तरफ आलोचना होने लगी।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन तो और भी आगे बढ़ गए और उन्होंने लिखा—
“ऐसी पिच बनाओगे तो हार के ही लायक हो… SA को शानदार जीत।”

124 रन का छोटा लक्ष्य, पर भारत 93 पर ढेर

तीसरे दिन भारत को मुकाबला जीतने के लिए सिर्फ 124 रन चाहिए थे। यह लक्ष्य आसान दिख रहा था, लेकिन पिच ने बल्लेबाजों के पैरों के नीचे से जमीन खींच ली।
शुभमन गिल अस्पताल में होने की वजह से बल्लेबाजी करने नहीं उतरे, और टीम इंडिया की दूसरी पारी 93 रन पर समाप्त हो गई।
भारत 30 रन से मैच हार गया, और एक ऐसा टेस्ट मैच ढाई दिन में खत्म हो गया जो पांच दिन चलना चाहिए था।

मैच कहां पलटा?

पहले दिन दक्षिण अफ्रीका 159 पर सिमट गई। जवाब में भारत 189 रन बनाकर 30 की बढ़त ले गया।
दूसरी पारी में SA 93/7 पर संघर्ष करती दिखी, लेकिन तीसरे दिन वे 153 तक पहुंचने में कामयाब रहे।
SA के कप्तान तेम्बा बावुमा ने 55* की महत्वपूर्ण पारी खेली—शायद मैच की सबसे जाबांज बल्लेबाजी।

वहीं SA के स्पिनर साइमन हार्मर ने मैच में 8 विकेट लेकर भारत के टॉप और मिडिल ऑर्डर को झकझोर दिया।

क्या टीम इंडिया ने पिछला सबक नहीं सीखा?

गौतम गंभीर के कार्यकाल में इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ होम सीरीज में भी ऐसी पिचें बनवाई गई थीं—और भारत को हार झेलनी पड़ी थी।
कोलकाता टेस्ट देखकर लगा कि शायद उस हार से भी कोई सबक नहीं लिया गया।


पिच की आलोचना बढ़ते देख गंभीर ने सफाई दी कि “जब अच्छा नहीं खेलेंगे, तो ऐसा ही होगा। पिच तो बिल्कुल वैसी थी जैसी हम चाहते थे।”

लेकिन सवाल वही है—टीम इंडिया ने खुद अपनी मुश्किलें क्यों खड़ी कीं?
एक ऐसी पिच पर खेलना जहां शुरुआती सेशन के बाद गेंद अनियमित टर्न ले और बल्लेबाजों को दूसरा-तीसरा दिन जूझना पड़े—इसका नुकसान मेज़बान टीम को ही ज्यादा हुआ।

इस हार ने सिर्फ टीम को नहीं, बल्कि पिच बनाने की पूरी सोच को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

टॉस के बाद फाइनल टीम चाहिए तो, अभी जॉइन करे Cricketyatri का Telegram चैनल- Join Now




Follow Us On