R Ashwin – भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी ऑफ-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने एक बार फिर भारत में स्थायी टेस्ट केंद्रों (Permanent Test Centres) की मांग उठाई है। उनका कहना है कि हर बार नए मैदानों पर टेस्ट खेलने से घरेलू टीम को भी विदेशी हालात का सामना करना पड़ता है।
गुवाहाटी बना नया टेस्ट वेन्यू
22 से 26 नवंबर के बीच भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरा और अंतिम टेस्ट मैच गुवाहाटी के बारसापारा स्टेडियम में खेला जाएगा। यह मैदान अब भारत का सबसे नया टेस्ट वेन्यू बनने जा रहा है। हालांकि अश्विन का मानना है कि यहां दोनों टीमों के लिए हालात बिल्कुल नए होंगे — “जैसे विदेश में मैच खेल रहे हों।”
उन्होंने कहा, “मैं गुवाहाटी में खेलने के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट के लिए हमें स्थायी केंद्र बनाने की ज़रूरत है। मौजूदा भारतीय खिलाड़ियों में से शायद ही किसी ने इस मैदान पर लाल गेंद से मैच खेला हो।”
कोहली की पुरानी सलाह पर फिर लौटे अश्विन
अश्विन ने अपने हिंदी यूट्यूब चैनल पर कहा, “दक्षिण अफ्रीका मौजूदा विश्व टेस्ट चैंपियन है, लेकिन उनका स्पिन विभाग बहुत मजबूत नहीं है। उनके बल्लेबाज़ भी स्पिन को उतना अच्छे से नहीं खेलते। लेकिन हमें इस पर बात करनी होगी कि हम कहाँ टेस्ट खेल रहे हैं। हम साउथ अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स और गुवाहाटी में खेल रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “विराट कोहली ने सालों पहले कहा था कि भारत को मानक टेस्ट केंद्र चाहिए। मुझे लगता है अब यह वक्त है कि हम इस पर गंभीरता से विचार करें। हमें स्थायी टेस्ट केंद्र और अच्छी पिचें तैयार करने की ज़रूरत है।”
विदेशी जैसी परिस्थितियों में खेलेगा भारत
अश्विन ने साफ कहा कि गुवाहाटी की परिस्थितियाँ दोनों टीमों के लिए नई हैं — “यह मैच दोनों के लिए विदेशी धरती जैसा होगा। मुझे नहीं लगता कि भारतीय टीम का कोई भी खिलाड़ी यहाँ फर्स्ट क्लास मैच खेला है।”
उनका तर्क है कि घरेलू टीम को अपने मैदान की परिस्थितियों की गहरी जानकारी होनी चाहिए। मौसम, मिट्टी की प्रकृति और विकेट के व्यवहार को समझना टेस्ट क्रिकेट का अहम हिस्सा है।
“भीड़ नहीं, पिच मायने रखती है”
अश्विन ने कहा, “किसी भी स्टेडियम में टेस्ट मैच करवाना सिर्फ़ भीड़ जुटाने का मामला नहीं है। यह उन परिस्थितियों से जुड़ा है जिनसे खिलाड़ी परिचित हों। भारत के हर हिस्से में पिच का स्वभाव अलग होता है — खासकर पूर्वी इलाकों में उछाल बहुत कम होती है। विकेट खराब नहीं होते, लेकिन खेलने का अनुभव अलग रहता है।”
स्थायी टेस्ट केंद्र क्यों ज़रूरी हैं?
भारत में अभी तक कोई निश्चित टेस्ट केंद्र नीति नहीं है। बीसीसीआई आमतौर पर मैचों का आयोजन रोटेशन के आधार पर करती है, जिससे छोटे शहरों को भी मौका मिले। लेकिन इसका नुकसान यह होता है कि टीम को नए मैदानों, नई मिट्टी और अनजाने मौसम से जूझना पड़ता है — जबकि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें अपने कुछ स्थायी टेस्ट केंद्रों पर नियमित रूप से खेलती हैं।
| देश | प्रमुख स्थायी टेस्ट केंद्र |
|---|---|
| भारत | (प्रस्तावित) मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली |
| ऑस्ट्रेलिया | सिडनी, मेलबर्न, एडिलेड, पर्थ, ब्रिस्बेन |
| इंग्लैंड | लॉर्ड्स, ओवल, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, लीड्स |
अश्विन का सुझाव बीसीसीआई के लिए एक नीतिगत बहस की शुरुआत कर सकता है — खासकर तब, जब भारत लगातार घर में मजबूत प्रदर्शन कर रहा है लेकिन नए वेन्यूज़ पर परिस्थितियों से जूझना पड़ता है।



















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